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मौसमी बीमारी पीलिया की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

       बेमेतरागर्मी के सीजन की दस्तक के साथ ही जल जनित मौसमी बीमारियों का प्रकोप होने की संभावना बनी रहती है। ऐसे में बीमारी के फैलने से पूर्व ही बचाव एवं रोकथाम के लिए राष्ट्रीय वायरल हिपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम (एन.वी.एच.सी.पी.) के तहत लोगों में जागरुकता लाने को प्रचार प्रसार किया जा रहा है।

       स्वास्थ्य विभाग की ओर से पीलिया जैसे संक्रामक रोग–वाइरल हेपेटाइटिस (पीलिया) से बचाव, रोकथाम एवं नियंत्रण के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किया गये हैं। गर्मी के मौसम में संक्रामक रोग वायरल हेपेटाइटिस (पीलिया) के मरीज राजधानी सहित राज्य के कई जिलों में पाए गए थे। वायरल हेपेटाइटिस (पीलिया) एक संक्रामक बीमारी है जो हेपेटाइटिस वायरस के संक्रमण से होती है।

       जिले के आईडीएसपी नोडल अधिकारी डॉ.आरती जसाठी ने बताया, “पीलिया की रोकथाम के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में पिछले दिनों आयोजित बैठक में सभी शासकीय कार्यालयों के जल श्रोतों की जांच पीएचई (पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग) विभाग द्वारा करवाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया, हेपेटाइटिस वाइरल पांच प्रकार के होते है- एचवी-ए, एचवी-बी, एचबी-सी, एचवी-डीऔर एचवी-ई। हेपेटाइटिस-बी आज एक मुख्य स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या के रूप में उभर कर सामने आ रहा है। हेपेटाइटिस बी से फैलने वाला पीलिया का रोग शुरू के समय तो अन्‍य हेपेटाइटिस वायरस के समान ही होते है। लेकिन बाद में रोगी व्‍यक्ति का शरीर दर्द करता है, हल्‍का बुखार, भूख कम हो जा‍ती है। उल्‍टी होने लगती है।इसके साथ ही पेशाब का व आंखों का रंग भी पीला होने लगता है”।

       आईडीएसपी के नोडल अधिकारी डॉ.आरती जसाठी का कहना है,“हेपेटाइटिस वायरल संक्रमण की प्रकृति मुख्यत: दो प्रकार की है पहली जल जनित में हेपेटाइटिस ए और ई है और इसी दूसरी रक्त जनित हेपेटाइटिस  बी, सी और डी के नाम से पीलिया को जाना जाता है। उन्होंने कहा , दूषित जल के सेवन सेहेपेटाइटिस ए और ई पीलिया महामारी की स्थिती का उत्पन्न कर सकता है। इसके नियंत्रण के लिए प्रभावित क्षेत्रों में चिकित्सा दल द्वारा घर-घर भेंट कर पीलिया मरीजों की खोज कर इलाज किया जाएगा”।

       वर्तमान में कोविड-19 से बचाव के लिए सामाजिक दूरी का पालन व सेनेटाइजर व मास्क लगाना जरुरी है। प्रभावित क्षेत्रों में मितानिन द्वारा गर्भवती माताओं की लाइन लिस्ट बनाकर उनके स्वास्थ्य के संबंध में सतत निगरानी की जानी है। वहीं गंभीर मरीजों को जिला अस्पताल व नजदीक के अस्पतालों में जांच व इलाज कराना जरुरी है। डॉ जसाठी ने कहा, पीलिया के संक्रमण से बचाव के लिए साफ पानी, गर्मपानी, ताजा भोजनका सेवन, शौचालय के बाद साबुन से हाथ धोना जरुरी है। बीमारी के संबंध में कोई भी जानकारी के लिए डॉयल 104 से भी स्वास्थ्य संबंधित जानकारी ले सकते है”।

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