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कोविड मोर्चे पर इनका शानदार कार्य देखिये, 1500 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कोविड से लड़ने के संकल्प से अब तक चार लाख लोगों तक जाकर दे चुकी संदेश

इनकी प्रेरणा से लोग आ रहे सामने, टीकाकरण के लिए भी लोगों को प्रेरित कर रहीं, हाथों में आक्सीमीटर लिये देख रही आक्सीजन का लेवल, इनकी वजह से चिन्हांकन हुआ तेज

कंटेनमेंट जोन में भी जाकर लोगों को चिन्हांकित कर रहीं, अपने कर्तव्य में अग्रणी इन कोरोना वारियर्स को सलाम

 

       दुर्ग। केस 1- दुर्ग निगम में व्यापारिक संघ के प्रतिनिधियों के साथ बैठक- आंगनबाड़ी कार्यकर्ता किस तरह से लोगों के दिलों को जीत रही हैं। इसकी बानगी बीते दिनों दुर्ग निगम आयुक्त के साथ व्यापारिक संघ के प्रतिनिधियों की बैठक में मिला। एक व्यापारिक संघ के प्रतिनिधि ने बताया कि वे गया नगर में रहते हैं। उनकी माँ 80 वर्ष की हैं। उन्हें टीकाकरण के लिए प्रेरित करने 60 वर्षीय दिव्यांग उषा कौशल आईं। अगले दिन वे टोकन लेकर आ गईं। जब मेरी माँ ने टोकन देखा तो माँ के आँखों में आँसू आ गए। माँ ने कहा कि ये खुद बुजुर्ग हैं और मेरी चिंता कर रही हैं।

       केस 2- मोतीझरी चैहान वार्ड नंबर-4 की कार्यकर्ता हैं। यहाँ कंटेनमेंट जोन बना हुआ है। इसके सभी घरों का सर्वे इन्होंने किया। कार्य की प्रशंसा पार्षद ने भी की। अपने कर्तव्य के दौरान किसी तरह का भय मोतीझरी के मन में नहीं दिखा। बस यही संकल्प की एक अच्छा काम दिया गया है इसे पूरा करना है।

       कोरोना फ्रंट पर अग्रणी भूमिका आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कोरोना वारियर के रूप में निभा रही हैं। संकट का सामना करते हुए भी, कभी-कभी लोगों से सहयोग नहीं मिलने पर भी वे अपने कार्य में बखूबी लगी हुई हैं। नई पीढ़ी के पोषण की जिम्मेदारी निभाने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कोविड संक्रमण को रोकने की दिशा में भी प्रभावी काम कर रही हैं। जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री विपिन जैन ने बताया कि कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे के निर्देश पर यह कार्य हो रहा है और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इस संबंध में प्रशंसनीय कार्य कर रही हैं। चाहे कंटेंनमेंट जो हो या हाटस्पाट, हर इलाके में ये कार्यकर्ता घूम घूम कर लोगों को कोरोना संकट के प्रति जागरूक कर रही हैं। इनके हाथों में आक्सीमीटर हैं। ये आक्सीमीटर के माध्यम से आक्सीजन की स्थिति जाँच करती हैं साथ ही कोरोना के लक्षणों के बारे में पूछताछ करती हैं। यदि ऐसा कुछ होता है तो तुरंत इसकी रिपोर्ट दे दी जाती है ताकि स्वास्थ्य विभाग का अमला इस संबंध में आगे कार्रवाई कर सके। जिले में कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए भी ये कार्यकर्ता अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटी। कई परिवारों ने सर्वे कार्यक्रम में उनकी मदद की, कई ने जानकारियाँ छिपाने की कोशिश भी की लेकिन इन्होंने अपने आग्रह से जानकारियाँ जुटाईं जो स्वास्थ्य विभाग के लिए काफी उपयोगी रहीं। जिले में बड़ी संख्या में जो सैंपलिंग हो सकी, उसके पीछे इन महिलाओं का बड़ा योगदान है।

चार लाख लोगों तक पहुँची-

       आंगनबाड़ी कार्यकर्ता जिले में चार लाख लोगों तक पहुँच चुकी हैं। इनका सबसे प्रमुख कार्य हाटस्पाट एवं कंटेनमेंट जोन में सर्वे करने का रहा है। यहाँ हर घर वे पहुँची, लोगों के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली और इस आँकड़े से स्वास्थ्य विभाग को अवगत कराया। इससे कोरोना मरीजों के चिन्हांकन में काफी आसानी हुई। सर्वे के हिसाब से जिन इलाकों में काफी संख्या में कोरोना पाजिटिव मिलने की आशंका थी वहाँ मोबाइल टीम पहुँची और टेस्टिंग की। इसका प्रभावी नतीजा निकला, टेस्ट कर पाजिटिव मरीजों को आइसोलेट किया गया तथा डाक्टरों की सलाह पर अस्पताल अथवा होम आइसोलेशन के संबंध में निर्णय लिया।

कलेक्टर एवं जजों के बंगले में भी पहुँची-

       आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सभी एरिया कवर कर रही हैं। आज वे कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे एवं जिले में कार्यरत न्यायाधीशों के बंगलों में भी पहुँची। उन्होंने बताया कि हमें पूरा एरिया कवर करने की जिम्मेदारी मिली है। हम हर घर जाएंगे और कोविड संक्रमितों की पहचान करेंगे। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती कामिनी चंद्राकर ने बताया कि आज उन्होंने कलेक्टर महोदय के बंगले में भी सर्वे किया।

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