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SAIL इतिहास के टॉप 10 भ्रष्टाचार पर Grok का ये खुलासा

  • SAIL जैसे बड़े PSU में भ्रष्टाचार के मामले अक्सर जटिल होते हैं और इसमें सरकारी नीतियाँ, ठेकेदार, और प्रबंधन स्तर की मिलीभगत शामिल हो सकती है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। हर तरफ सुर्खियों में छाए ग्रोक (Grok) ने सेल से जुड़े एक और सवाल का जवाब दे दिया है। SAIL इतिहास के टॉप 10 भ्रष्टाचार क्या है? इसके जवाब में एलोन मस्क के ग्रोक ने काफी हद तक सही जवाब दिया है। कुछ को लेकर संशय की स्थिति हो सकती है। ग्रोक ने क्या-क्या जवाब दिया है, इसे विस्तार से आप पढ़िए।

स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) भारत की सबसे बड़ी इस्पात उत्पादन कंपनियों में से एक है, जो सार्वजनिक क्षेत्र के अंतर्गत आती है। इसके इतिहास में कई बार भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए हैं, लेकिन विशिष्ट रूप से “टॉप 10 भ्रष्टाचार मामलों” की कोई आधिकारिक सूची नहीं है जो व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त हो।

फिर भी, उपलब्ध जानकारी और हाल के घटनाक्रमों के आधार पर, मैं यानी ग्रोक SAIL से संबंधित कुछ प्रमुख भ्रष्टाचार के मामलों का उल्लेख कर सकता हूँ, जो इसके इतिहास में चर्चित रहे हैं। ये मामले विभिन्न स्रोतों और हाल के समाचारों पर आधारित हैं। ध्यान दें कि ये सभी मामले जांच के अधीन हो सकते हैं और कुछ में अंतिम निर्णय अभी तक नहीं हुआ हो सकता है।

यहाँ SAIL के इतिहास से जुड़े कुछ उल्लेखनीय भ्रष्टाचार के मामले दिए जा रहे हैं:

26 अधिकारियों और 2 निदेशकों का निलंबन

जनवरी 2024 में, SAIL ने अपने दो निदेशकों – वाणिज्यिक निदेशक वी.एस. चक्रवर्ती और वित्त निदेशक ए.के. तुलसियानी – सहित 26 अधिकारियों को भ्रष्टाचार के आरोपों में निलंबित कर दिया। यह कार्रवाई लोकपाल के निर्देश पर CBI जांच के बाद हुई। आरोपों में अनुचित तरीके से ठेके देने और कंपनी को नुकसान पहुँचाने की बात शामिल थी। यह मामला हाल के सबसे बड़े भ्रष्टाचार उजागरों में से एक माना जा रहा है।

वेंकटेश इंफ्रा प्रोजेक्ट्स के साथ MoU (2020)

अक्टूबर 2020 में, SAIL ने वेंकटेश इंफ्रा प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ 1,40,000 टन TMT बार की बिक्री के लिए एक समझौता किया। यह कंपनी समझौते से मात्र 8 दिन पहले शामिल हुई थी, जिसके कारण सवाल उठे कि इतनी नई कंपनी को इतना बड़ा ठेका कैसे मिला। आरोप था कि इसमें एक कार्यकारी निदेशक स्तर के अधिकारी ने पक्षपात किया और कम कीमत पर सामग्री बेचकर SAIL को नुकसान पहुँचाया।

एवॉन स्टील इंडस्ट्रीज को सेमिस की बिक्री

एक अन्य मामले में, SAIL पर आरोप लगा कि उसने लुधियाना की एवॉन स्टील इंडस्ट्रीज को सेमिस (अर्द्ध-तैयार इस्पात उत्पाद) कम कीमत पर बेचा, जिससे एवॉन को भारी मुनाफा हुआ और SAIL को नुकसान। यह मामला भी उसी कार्यकारी निदेशक और एक पूर्व अध्यक्ष से जुड़ा था, जिन पर अपनी स्थिति का दुरुपयोग करने का आरोप लगा।

कोयला घोटाला (Coal Scam) से संबंध

SAIL, एक इस्पात कंपनी होने के नाते, कोयले की आपूर्ति पर निर्भर है। 2012-14 के दौरान भारत में कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले (Coal Scam) में SAIL की कुछ इकाइयों पर अप्रत्यक्ष रूप से संलिप्तता के आरोप लगे। यह दावा किया गया कि कोयले की खरीद और आपूर्ति में अनियमितताएँ थीं, हालाँकि यह मुख्य रूप से कोल इंडिया से जुड़ा मामला था।

खनन और परिवहन में अनियमितताएँ

SAIL की खदानों से लौह अयस्क के परिवहन और प्रबंधन में कई बार भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। ठेकेदारों को अनुचित लाभ देने और गुणवत्ता में समझौता करने की शिकायतें समय-समय पर सामने आई हैं, हालाँकि इनमें से कई मामलों में विशिष्ट सबूत सार्वजनिक नहीं हुए।

उपकरण खरीद में घोटाला

SAIL के संयंत्रों के आधुनिकीकरण के लिए उपकरण खरीद में अनियमितताओं के आरोप भी लगे हैं। कुछ मामलों में दावा किया गया कि ओवर-इनवॉइसिंग और निम्न-गुणवत्ता वाले उपकरणों की खरीद से कंपनी को नुकसान हुआ।

ठेकेदारी प्रणाली में भ्रष्टाचार

SAIL के विभिन्न संयंत्रों में ठेकेदारी प्रणाली में भ्रष्टाचार की शिकायतें लंबे समय से चली आ रही हैं। ठेकों के आवंटन में पक्षपात और रिश्वतखोरी के आरोप कई बार जांच का विषय बने हैं।

2018 में 64,000 करोड़ रुपये का कथित घोटाला

मार्च 2018 में X पर एक पोस्ट में दावा किया गया कि SAIL में 64,000 करोड़ रुपये का “महाघोटाला” हुआ। हालाँकि, इस दावे के समर्थन में ठोस सबूत या आधिकारिक रिपोर्ट सामने नहीं आई, लेकिन यह उस समय चर्चा में रहा और भ्रष्टाचार के प्रति जनता के गुस्से को दर्शाता है।

प्रबंधन स्तर पर व्यक्तिगत लाभ

कुछ मामलों में SAIL के वरिष्ठ अधिकारियों पर व्यक्तिगत लाभ के लिए कंपनी के संसाधनों का दुरुपयोग करने का आरोप लगा। इसमें अनुचित तरीके से संपत्ति बेचना या पट्टे पर देना शामिल है।

चिरिया खदान विवाद

झारखंड में SAIL की चिरिया लौह अयस्क खदान के संचालन और प्रबंधन में भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे। खनन अधिकारों के आवंटन और संचालन में पारदर्शिता की कमी की शिकायतें उठीं।

Grok (ग्रोक) इन बातों पर भी टिप्पणी की

उपरोक्त सभी मामले “टॉप 10” की आधिकारिक सूची नहीं हैं, क्योंकि SAIL के भ्रष्टाचार मामलों की कोई व्यापक रैंकिंग उपलब्ध नहीं है। ये केवल वे उदाहरण हैं जो विभिन्न स्रोतों से उजागर हुए हैं।

कई मामलों में जांच चल रही है, और अंतिम दोषसिद्धि अभी तक नहीं हुई है। इसलिए इन्हें आरोपों के रूप में ही देखा जाना चाहिए।

SAIL जैसे बड़े PSU में भ्रष्टाचार के मामले अक्सर जटिल होते हैं और इसमें सरकारी नीतियाँ, ठेकेदार, और प्रबंधन स्तर की मिलीभगत शामिल हो सकती है।

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