वन होम, वन ट्री महा अभियान आज पौधरोपण का सबसे बड़ा दिन, आईये अपने घर लगाएं एक पौधा
प्रकृति को सहेजने का सबसे बड़ा यज्ञ आपकी आहूति से होगा सफल, एक पौधा लगाकर प्रकृति को सहेजने की दिशा में बढ़ाएं सबसे बड़ा कदम
सामूहिक रूप से भी कार्यालयों, औद्योगिक परिसरों, स्कूलों-आंगनबाड़ी, उद्यानों आदि में लगाए जाएंगे पौधे
दुर्ग। पौधरोपण के लिए आयोजित होने वाले महा अभियान के कार्यक्रम पहले सार्वजनिक स्थलों में आयोजित होते थे। हरियाली की बढ़ती महत्ता को देखते हुए अब इसे केवल सार्वजनिक स्थलों तक सीमित नहीं रखा जा सकता। जब हर घर में पौधे लगेंगे तभी प्रकृति को सहेजा जा सकेगा। इस सोच के चलते कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने नवाचारी पहल करते हुए वन होम, वन ट्री महा अभियान आरंभ करने का निर्णय लिया। पिछले साल पूरे जिले में इस अभियान के अंतर्गत लगभग पांच लाख पौधे रोपे गए थे। इस बार भी यह अभियान आज के ही दिन छह जुलाई को होना है। कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने इस अवसर पर जिले के सभी रहवासियों से अपने घरों में एक पौधा लगाने की अपील की है।
हर घर पौधा क्यों जरूरी- दुर्ग जिला औद्योगिक प्रधान है। स्वाभाविक रूप से वातावरण को शुद्ध करने में पेड़ों की अहम भूमिका होती है। हमारे आसपास जितने पेड़ होंगे, हमारे फेफड़े उतने ही शुद्ध होंगे। पेड़ों से आक्सीजन की आपूर्ति होती है। स्वच्छ प्राणवायु के लिए पौधे बेहद आवश्यक हैं। हरियाली का दायरा उतना ही बढ़ेगा।
जलसंरक्षण के लिए भी पौधों की अहम भूमिका- शहरों में जलस्तर के तेजी से गिरावट की बड़ी वजह पौधों की कमी भी होती है। पौधे अपनी जड़ों के माध्यम से पानी संचित करके रखते हैं इससे भूमिगत जल का रिचार्ज होता रहता है। मिट्टी के कटाव को रोकने में भी इसकी अहम भूमिका होती है।
तैयारियाँ चरम पर- सभी निगम क्षेत्रों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पौधरोपण के लिए तैयारियाँ युद्धस्तर पर की गई हैं। डीएफओ श्री धम्मशील गणवीर ने कैसे सही तरीके से पौधा लगाएं, इस बारे में वीडियो जारी किया है। भिलाई निगम में आयुक्त श्री ऋतुराज रघुवंशी के मार्गदर्शन में घरों में पौधे वितरित कराने का व्यापक अभियान किया गया है। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक स्थलों पर कदंब, गुलमोहर आदि के पौधे भी लगाने के निर्देश दिये गए हैं। दुर्ग निगम में पार्कों में आने वाले नागरिकों को भी पौधे वितरित किये गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जिला पंचायत सीईओ श्री सच्चिदानंद आलोक के मार्गदर्शन में फलदार पौधे एवं ग्रामीणों की माँग पर अन्य पौधे वितरित किये गए हैं।
जनप्रतिनिधियों ने भी दिये संदेश हरियाली को सहेजने लगाए पौधा-
गृह एवं पीडब्ल्यूडी मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि पर्यावरण को सुरक्षित रखना एवं इसे सहेजना सबसे बड़ी चुनौती है। दुर्ग जिला प्रशासन द्वारा वन होम, वन ट्री अभियान चलाया जा रहा है। दुर्ग जिले के रहवासी हमेशा से ऐसे जनसरोकार के कार्यक्रम में पूरा योगदान देते हैं। वे अपने घर पौधे लगाकर इस अभियान को सफल बनाएंगे।
हर घर हो पौधा-
कृषि एवं जलसंसाधन मंत्री श्री रविंद्र चैबे ने अपने संदेश में कहा कि हर घर में एक पौधा लगेगा तो हरियाली का दायरा बहुत बढ़ जाएगा। पौधे लगने से शुद्ध हवा तो मिलेगी ही, प्रकृति को भी सहेजने में मदद मिलेगी।
अपने घर लगाएं पौधा- पीएचई मंत्री श्री गुरु रुद्र कुमार ने अपने संदेश में कहा कि पौधरोपण पुनीत कार्य है। इस कार्य में सबकी भागीदारी होनी चाहिए।
अभियान बेहद महत्वपूर्ण- विधायक श्री अरुण वोरा ने अपने संदेश में कहा कि दुर्ग शहर को हरा-भरा रखने में इस अभियान से काफी सहयोग मिलेगा। हम सब अपने घरों में पौधा लगाएं और दुर्ग में हरियाली का दायरा बढ़ाएं।
हरियाली की दिशा में बड़ा कदम-
भिलाई विधायक श्री देवेंद्र यादव ने अपने संदेश में कहा कि वन होम, वन ट्री अभियान हरियाली को सहेजने एवं आगे बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण अभियान है। हर घर में एक पौधा लगेगा तो हरियाली स्वतः ही बहुत बढ़ जाएगी।
संकल्प लें पौधा लगाएंगे-
दुर्ग महापौर श्री धीरज बाकलीवाल ने इस अवसर पर अपने संदेश में कहा कि वन होम वन ट्री अभियान हरियाली प्रसार के लिए बहुत अच्छा अभियान जिला प्रशासन द्वारा चलाया जा रहा है।
सभी शालाओं में रनिंग वाटर देने का काम पूरा
जल जीवन मिशन की बैठक में प्रगति पर हुई चर्चा, कलेक्टर ने तेजी से कार्य पूरा करने दिये निर्देश
दुर्ग। जिले की सभी शालाओं में रनिंग वाटर देने का काम पूरा हो चुका है। इसके साथ ही सभी हास्टल्स में भी कार्य पूरा हो चुका है। जल जीवन मिशन की आज बैठक कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में संपन्न हुई, बैठक में मिशन के सचिव श्री समीर शर्मा ने विस्तार से मिशन के लक्ष्यों के संबंध में कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे एवं मिशन के सदस्यों को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शासन के निर्देशों के मुताबिक सभी शालाओं, आंगनबाड़ी केंद्रों और स्वास्थ्य केंद्रों में रनिंग वाटर देने का कार्य किया जा रहा है इसमें शालाओं और हास्टल्स में रनिंग वाटर का काम पूरा हो चुका है। आंगनबाड़ियों में यह कार्य प्रगति पर है। कलेक्टर ने जल जीवन मिशन के कार्यों में प्रगति लाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि शुद्ध पेयजल सबसे प्राथमिकता का कार्य है। लगातार इस संबंध में हो रही प्रगति की मानिटरिंग करते रहें। निर्धारित अवधि में गुणवत्तापूर्वक कार्य होता रहे, यह सुनिश्चित करें। पीएचई के कार्यपालन अभियंता एवं मिशन के सचिव श्री समीर शर्मा ने बताया कि जिले में 385 गांव और 419 बसाहटें हैं और ग्रामीण परिवारों की संख्या एक लाख 46 हजार है। इसमें से चालीस हजार परिवारों तक घरेलू कनेक्शन प्रदाय किये जा चुके हैं। जिले में वर्तमान में कुल 219 नलजल योजना एवं 38 स्थलजल योजना कार्यरत हैं। रेट्रोफिटिंग के माध्यम से पुनः संयोजन भी किया जा रहा है ताकि उन बसाहटों को भी शुद्ध पेयजल मिल पाये जो अब तक इससे वंचित रहे हैं। उल्लेखनीय है कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत छत्तीसगढ़ शासन ने वर्ष 2023 तक सभी बसाहटों में गुणवत्तायुक्त पेयजल प्रदान करने का लक्ष्य रखा है। इसके अंतर्गत हर परिवार को 55 लीटर पानी उपलब्ध कराना लक्ष्य है। इस दिशा में तेजी से कार्य जिले में किया जा रहा है। आज बैठक में रेट्रोफिटिंग योजनाओं और सिंगल विलेज योजनाओं पर विस्तार से चर्चा हुई। कलेक्टर ने सभी योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की और कार्यों के लगातार मानिटरिंग के निर्देश दिये।
नसबंदी आपरेशन हेतु होगा पंजीयन
परिवार नियोजन कार्यक्रम की प्रगति पर गहन समीक्षा
दुर्ग। कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे के निर्देशानुसार गत दिवस 02 जुलाई को परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डाॅ. सीबीएस बंजारे एवं डाॅ. सतीश मेश्राम जिला स्वास्थ्य अधिकारी दुर्ग के द्वारा पंडित जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र सेंक्टर 9 भिलाई के सभागार में जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा के संबंध में विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए बैठक ली गई। बैठक में जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा 10 जुलाई तक मोबिलाईजेशन फेस में दम्पती की कांउसलीग कर परिवार नियोजन के स्थाई एवं अस्थाई साघनों की लाईन लिस्टींग कर नसबंदी आपरेशन हेतु पंजीयन किये जाने एवं द्वितीय फेस 11 जुलाई से 24 जुलाई तक सर्विस डिलवरी फेस जिसमें इच्छुक लक्ष्य दम्पत्तियों को स्थायी साधन महिलाध्पुरूष अस्थायी साधन गर्भ निरोधक गोली, प्रसव उपरांत आ.यु.सी.डी निवेशन, गर्भपात आ.यु.सी.डी., कंडोम का वितरण किया जाएगा।
साथ ही बैठक में स्वास्थ्य विभाग दुर्ग, भिलाई और सेक्टर 9 के चिकित्सको एवं अधिकारियों की संयुक्त टीम के द्वारा रैपिड एंटीजन संभावित डेंगू पाजीटिव मरीज के रक्त सीरम की एलिजा जांच उपचार रिकार्ड केसंबंध में चर्चा कर आपसी तालमेल से विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी डेंगू, मलेरिया रोकथाम हेतु सतत सहयोग किया जाने का निर्णय लिया गया ।
सभी हितग्राहियों को समस्त सेंवा एवं सुविधां प्रदान कर निर्धारित पत्र में प्रतिदिन रिपोर्ट करनें के निर्देश दिए गए। जिसमें पंडित जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र सेक्टर 9 से डाॅ. एस के ईस्सर ईडी, डाॅ एम रविन्द्रनाथ सीएओ, डाॅ प्रमोद बिनायके सीएमओ, और अधिकारी एवं कर्मचारीगण उपस्थित थे।
जनसंख्या स्थिरीकरण प्रचार-प्रसार
स्वास्थ्य विभाग चलाएगा जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा
दुर्ग। जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा प्रथम फेज 10 जुलाई तक होगा और द्वितीय फेज 11 जुलाई से 24 जुलाई 2021 जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा आयोेजित किया जा रहा है।11 से 24 जुलाई तक विश्व जनसंख्या पखवाड़ा मनाया जाएगा।30 जून को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी दुर्ग एवं नोडल अधिकारी डाॅ. सीबीएस बंजारे द्वारा जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा का प्रचार-प्रसार हेतु प्रचार रथ को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया गया। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा डाॅ. सतीश मेश्राम, डाॅ दिव्या श्रीवास्तव, डाॅ. अनिल शुक्ला, डाॅ सुगम सावत, डाॅ. आर के खण्डेलवाल एवं कार्यालय के सभी अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहें।
जिले में फसल की सुरक्षा हेतु सामुदायिक फेंसिंग योजना
दुर्ग। जिले में खरीफ फसल धान की खेती के बाद कृषकों द्वारा जानवरों को खुला छोड़ दिया जाता है। जिसके कारण कृषक चाहते हुए भी रबी मौसम में सब्जी आदि फसलों की खेती नहीं कर पा रहे हैं। जानवरों से सुरक्षा हेतु फेसिंग व्यवस्था अति आवश्यक है जिले में उत्पादित होने वाले विभिन्न उद्यानिकी एवं नकदी फसलों का क्षेत्र एवं उत्पादन बढ़ाकर कृषकों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने एवं उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से कृषक को की भूमि में उद्यानिकी एवं नकदी फसलों की सुरक्षा के लिए सामुदायिक फेंसिंग योजना लागू किया गया है। पात्रता के लिए लघु एवं सीमांत कृषक समूह में कम से कम 2 कृषक की जमीन एक चक में होनी चाहिए। समूह में सम्मिलित कृषक सदस्य का रकबा कम से कम 0.50 हेक्टेयर एवं अधिकतम 2.0 हेक्टेयर होना चाहिए।