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मुख्यमंत्री ने किया राजीव गांधी आश्रय योजना का पट्टा वितराण

कला मंदिर में आयोजित हुआ कार्यक्रम, वर्चुअल माध्यम से मुख्यमंत्री ने लिया हिस्सा

मुख्यमंत्री ने वर्चुअल कार्यक्रम में बटन दबाकर 372 नये पट्टे एवं 306 नवीनीकृत पट्टा वितरण किया

       दुर्ग। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज भिलाई नगर निगम द्वारा आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में राजीव गांधी आश्रय योजना के अंतर्गत पात्र हितग्राहियों को पट्टा वितरण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने हितग्राहियों को बधाई देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ शासन आम जनता के बुनियादी सरोकारों को समझते हुए कार्य करती है। राजीव गांधी आश्रय योजना के अंतर्गत हितग्राहियों के लिए पट्टा वितरण की योजना लाई गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि नागरिक सुविधाओं में वृद्धि शासन की प्राथमिकता में शामिल है। इसके लिए अधोसंरचना मजबूत की जा रही है। निगम क्षेत्रों में तेजी से नये कार्य स्वीकृत किये जा रहे हैं। लोगों के फीडबैक के मुताबिक नगरीय क्षेत्रों में योजनाएं संचालित की जा रही हैं। आज हितग्राहियों को नया पट्टा मिल रहा है और नवीनीकृत पट्टों का वितरण हो रहा है। यह बहुत हर्ष का विषय है। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर हितग्राहियों को बधाई दी। आज मुख्यमंत्री द्वारा 372 हितग्राहियों को दो लाख साठ हजार चार सौ वर्ग फीट का नवीन पट्टा और 306 हितग्राहियों को 56 हजार 770 वर्गफीट का नवीनीकृत पट्टा वितरित किया गया। जिले में इस योजना के अंतर्गत 2329 नागरिकों को नौ लाख 98 हजार वर्गफीट नवीन पट्टा वितरित किया गया है एवं 6285 पट्टों का नवीनीकरण किया गया है। कार्यक्रम के दौरान कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे भी मौजूद रहे। नगर निगम आयुक्त श्री ऋतुराज रघुवंशी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

 

 

नरवा योजना के तहत जीर्णोद्धार किए गए नालों के दोनों  तरफ किया जाएगा  पौधरोपण

कलेक्टर ने गौठानों में आजीविका मूलक गतिविधियों को तेज करने का दिया निर्देश

       दुर्ग। नरवा योजना के अंतर्गत जीर्णोद्धार किये गये नालों के दोनों ओर व्यापक रूप से पौधरोपण किया जाएगा। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने इस संबंध में अधिकारियों को निर्देशित किया। कलेक्टर ने कहा कि नालों के दोनों ओर व्यापक रूप से पौधरोपण करने से वाटर रिचार्ज तेजी से होगा, इससे नरवा स्ट्रक्चर औैर अधिक प्रभावी होंगे। उन्होंने जिला पंचायत में हुई बैठक मे कहा कि नरवा योजना अंतर्गत जिन नालों का जीर्णोद्धार किया गया है उनमें किसी अतिरिक्त स्ट्रक्चर की आवश्यकता हो तो इसे भी प्रस्तावित करें। उन्होंने कहा कि बूंद-बूँद जल के संरक्षण से ही कृषि की व्यापक उन्नति हो सकती है। कलेक्टर ने कहा कि इस बार जिन नालों के आसपास संरक्षण कार्य किया गया है, उनमें रबी फसल में भी लोगों ने पंपों से पानी लिया। बरसों से जमी गाद निकली है और आने वाले वर्षों में यह नाले और भी प्रभावी होंगे। व्यापक रूप से पौधरोपण होने से कैचमेंट एरिया में पानी बढ़ेगा। उन्होंने पौधे लगाने के साथ ही इनके संरक्षण के लिए भी मुकम्मल व्यवस्था करने के निर्देश दिये। बैठक में जिला पंचायत सीईओ श्री सच्चिदानंद आलोक ने भी अधिकारियों को विस्तार से निर्देश दिये और पूर्व में विभागीय योजनाओं पर की गई प्रगति की समीक्षा की। इस दौरान अपर कलेक्टर श्री बीबी पंचभाई, सहायक कलेक्टर श्री हेमंत नंदनवार भी उपस्थित थे।

गोबर खरीदी की पुख्ता व्यवस्था की मानिटरिंग करते रहें-

       कलेक्टर ने कहा कि गोधन न्याय योजना शासन की प्राथमिकता की योजना है। इसके हितग्राहियों को किसी तरह की दिक्कत न हो, इसका ध्यान रखें। अधिकारी खरीदी केंद्रों का नियमित निरीक्षण करें। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि यहां गोबर का रखरखाव बेहतर तरीके से हो। कंपोस्ट के निर्माण में तकनीकी पद्धति का पूरी तरह पालन हो। कंपोस्ट निर्माण के पश्चात इसके विक्रय की पुख्ता व्यवस्था करें। उन्होंने कहा कि स्वावलंबी गौठान हमें तैयार करने हैं। बहुत से गौठानों में इस दिशा में अच्छा काम हो रहा है। कहीं पर बेहतर करने की जरूरत है। जहाँ पर व्यवस्था में सुधार की जरूरत है वहां तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करें।

       नैपियर घास की व्यवस्था पर निर्देश- कलेक्टर ने कहा कि गौठानों के साथ चारागाह बनाये गये हैं और यहाँ नैपियर घास लगाये जा रहे हैं। नैपियर घास गोधन को पोषण प्रदान करने में सबसे मुकम्मल भूमिका निभाते हैं। इसका पूरी तरह उपयोग करना है। इसके उपयोग की प्लानिंग बनाने के निर्देश दिये जा चुके हैं। जिन जगहों से ऐसी योजनाएं नहीं आए हैं उनकी मानिटरिंग करें तथा इस पर प्रभावी कार्य के निर्देश दें। कलेक्टर ने कहा कि गौठान समितियों की बैठक में इस पर विशेष चर्चा हो। साथ ही नस्ल वृद्धि के लिए किये जा रहे कार्यों पर विशेष रूप से मानिटरिंग होती रहे।

बाड़ी घर के पीछे भी, यह सबसे जरूरी-

       कलेक्टर ने कहा कि मुख्यमंत्री महोदय की मंशा है कि सामूहिक बाड़ियों के साथ ही गाँव में हर घर में पीछे बाड़ी हो तो सब्जी उत्पादन और पोषण के क्षेत्र में लाभ मिलेगा। इसके लिए लोगों को प्रोत्साहित करें और ऐसा करने वाले ग्रामीणों को बीज और तकनीकी मार्गदर्शन उपलब्ध कराने में मदद करें।

 

 

जिन संस्थाओं में दस से अधिक लोग काम करते हैं, उन संस्थाओं पर ‘‘महिलाओं का कार्य स्थल लैंगिक उत्पीड़न ( निवारण प्रतिषेध और प्रतितोष ) अधिनियम 2013‘‘ लागू होता है

 

       दुर्ग। श्री राजेश श्रीवास्तव जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में माह अगस्त में चयनित तिथियों पर विभागों के साथ महिलाओं का कार्य स्थल लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013 के विषय पर वर्चुअल माध्यम से विधिक जागरूकता कार्यशाला शिविर आयोजित की जा रही है। संबंधित विषय की जागरूकता कार्यशाला में दुर्ग शासन के चयनित विभिन्न विभाग के अधिकारी कर्मचारी वर्चुअल माध्यम से चयनित विभिन्न तिथियों पर कार्यशाला में जुड़ सकेंगे। इसी कड़ी में श्रीमती मधु तिवारी अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, श्रीमती नीरु सिंह अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, श्रीमती ममता भोजवानी अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने विभिन्न शासकीय विभागो जेैसे श्रम विभाग, शिक्षा विभाग, महिला बाल विकास, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग एवं अन्य विभागों से वर्चुअल माध्यम से अधिकारियों को उक्त अधिनियम के अंतर्गत जानकारी साझा करने हुए बताया गया कि यह अधिनियम, 9 दिसम्बर, 2013 को प्रभाव में आया था। जैसा कि इसका नाम ही इसके उद्देश्य रोकथाम, निषेध और निवारण को स्पष्ट करता है और उल्लंघन के मामले में, पीड़ित को निवारण प्रदान करने के लिये भी ये कार्य करता है । जिन संस्थाओं में दस से अधिक लोग काम करते हैं, उन संस्थाओं पर यह अधिनियम लागू होता है। जिस महिला के साथ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न हुआ है, वह शिकायत कर सकती है। यदि पीड़ित शारीरिक रूप से शिकायत करने में असमर्थ है (उदाहरण के लिए, यदि वह बेहोश है), तो उसके रिश्तेदार या मित्र, उसके सह-कार्यकर्ता, ऐसा कोई भी व्यक्ति जो घटना के बारे में जानता है और जिसने पीड़ित की सहमति ली है, अथवा राष्ट्रीय या राज्य स्तर के महिला आयोग के अधिकारी शिकायत कर सकते हैं। अगर संस्थान में आंतरिक शिकायत समिति है तो उसमें ही शिकायत करनी चाहिए। ऐसे सभी संगठन या संस्थान जिनमें 10 से अधिक कर्मचारी हैं, आंतरिक शिकायत समिति गठित करने के लिए बाध्य हैं। अगर संगठन ने आंतरिक शिकायत समिति नहीं गठित की है तो पीड़ित को स्थानीय शिकायत समिति में शिकायत दर्ज करानी होगी। शिकायत करते समय घटना को घटे तीन महीने से ज्यादा समय नहीं बीता हो और यदि एक से अधिक घटनाएं हुई है तो आखरी घटना की तारीख से तीन महीने तक का समय पीड़ित के पास है स जाँच के खत्म होने पर यदि समिति आरोपी को यौन उत्पीडन का दोषी पाती है तो समिति नियोक्ता (अथवा कम्पनी या संस्था, आरोपी जिसका कर्मचारी है) को आरोपी के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए सुझाव देगी। नियोक्ता अपने नियमों के अनुसार कार्यवाही कर सकते हैं। यदि आंतरिक समिति को पता चलता है कि किसी महिला ने जान-बूझ कर झूठी शिकायत की है,तो उस पर कार्यवाही की जा सकती है। ऐसी कार्यवाही के तहत महिला को चेतावनी दी जा सकती है, महिला से लिखित माफी माँगी जा सकती है या फिर महिला की पदोन्नति या वेतन वृद्धि रोकी जा सकती है, या महिला को नौकरी से भी निकाला जा सकता है। हालांकि, सिर्फ इसलिए कि पर्याप्त प्रमाण नहीं है, शिकायत को गलत नहीं ठहराया जा सकता, इसके लिए कुछ ठोस सबूत होना चाहिए।

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