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2 महीने में 12 डेंगू संभावितों की एलिसा आईजीएम जांच में 3 में डेंगू की पुष्टि

       बेमेतरा। जिले में डेंगू व मलेरिया नियंत्रण के लिए शहरी क्षेत्रों में जन जागरुकता अभियान कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसी क्रम में जल जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए प्रचार रथ को कलेक्टर विलास संदीपन ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस मौके पर सीएमएचओ डॉ प्रदीप घोष व जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण अधिकारी डॉ ज्योति जसाठी भी उपस्थित रहे।

       इस बारे में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण अधिकारी डॉ ज्योति जसाठी ने बताया, “जनवरी से लेकर सितंबर 2021 तक 235 लोगों में डेंगू के लक्षण पाए जाने पर जिला अस्पताल में आरडीटी किट से जांच में 12 लोगों में एनएस-1 पॉजिटिव पाया गया। जांच से डेंगू के संभावित 12 मरीजों की पहचान के बाद ब्लड का सेंपल लेकर दुर्ग जिला अस्पताल में एलिसा आईजीएम जांच के लिए भेजा गया। एलिसा आईजीएम जांच रिपोर्ट से 3 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई। डॉ. जसाठी ने बताया, अगस्त महीने में एक मरीज गुजरात से माइग्रेट होकर आया था। वहीं दो अन्य डेंगू के मरीज रायपुर से आये थे। इलाज के बाद तीनों मरीज पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गए हैं।

       जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण अधिकारी डॉ. जसाठी ने बताया, डेंगू की पुष्टि के लिए एलिसा आईजीएम जांच कराना जरूरी होता है। जांच में पॉजिटिव आने पर ही डेंगू की पुष्टि की जा सकती है। उन्होंने बताया, लोगों को डेंगू से बचाव और जांच के बारे में प्रचार-प्रसार रथ के माध्यम से जागरुकता लाने के लिए अपील की जा रही है। किसी भी निजी क्लिनिक में इलाज के दौरान या प्राइवेट जांच में आरडीटी किट से जांच के दौरान एनएस-1 पॉजिटिव पाया जाता है तो उसे डेंगू मान लेते हैं। जबकि यह जांच केवल डेंगू की संभावनाओं को व्यक्त करती है।”

 

घर घर जाकर लोगों को किया जा रहा जागरूक

       शहरी क्षेत्रों और ब्लॉक स्तर में मितानिन, आरएचओ सहित स्वास्थ्य अमला घर-घर जाकर कूलर, टंकी, कंटेनर, टायर में जमे बरसाती पानी को खाली कराने में जुटे हुए हैं। मितानिन और महिला आरोग्य समिति द्वारा लगातार डेंगू पर कार्य किया जा रहा है। आरोग्य समिति के सदस्य लोगों को गड्ढों की पहचान कराते हुए जहां पानी जमा हो वहां जला तेल या मिट्टी का तेल डाल रहे है। मितानिन गृह भेंट कर बुखार के मरीजों की पहचान कर रक्त जांच करने व समुचित इलाज की जानकारी दें रहीं हैं। स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम द्वारा कोरोना वायरस के साथ-साथ डेंगू के प्रसार को भी रोकने का प्रयास किया जा रहा है।

 

यह हैं लक्षण

       सीएमएचओ डॉ प्रदीप घोष ने बताया, “डेंगू में रोगी के शरीर पर बुखार के साथ-साथ लाल दाने निकल आते हैं। दो से सात दिनों की अवधि के तीव्र ज्वर के साथ सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, बदन दर्द, शरीर पर महीन दाने एवं गले में खराश होने पर रोगी संदेहात्मक श्रेणी में होता है। प्रारंभिक लक्षण तथा परीक्षण के आधार पर डेंगू के संभावित रोगों की पहचान कर आरडीटी किट से जांच की जाती है। उन्होंने बताया, डेंगू की बीमारी एडीस नामक मच्छर के काटने से होती है। इस मच्छर के काटने पर विषाणु तेजी से मरीज के शरीर में अपना असर दिखाने लगता है। जिसके कारण तेज बुखार और सिर दर्द जैसे लक्षण दिखाई देते है। इसे हड्डी तोड़ “बुखार” या ब्रेक बोन बुखार भी कहा जाता है। डेंगू का उपचार संभव है। डेंगू से बचने के लिए स्वयं को मच्छरों से बचाना बहुत जरूरी है।

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