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श्री कमल नाथ के जन्म-दिन पर विशेष लेख, मध्यप्रदेश के बेहतर विकास का भविष्य दृष्टा

       जबलपुर। मध्यप्रदेश सौभाग्यशाली है कि उसे मुख्यमंत्री के रूप में कमल नाथ जैसा वैश्विक सोच का भविष्य दृष्टा व्यक्तित्व मिला है। यह अलंकरण उन लोगों को अतिशयोक्तिपूर्ण लग सकता है, जो कमल नाथ जी के व्यक्तित्व और कृतित्व से परिचित नहीं है। जिन्होंने केन्द्र में विभिन्न मंत्रालयों में मंत्री के रूप में और छिंदवाड़ा में बतौर सांसद उनके द्वारा करवाये गए क्षेत्र के चहुँमुखी विकास को न केवल देखा है बल्कि नजदीक से समझा है वे इस ‍विशेषण से सौ फीसदी सहमत होंगे। 

       कमल नाथ जी को जब भी जहाँ भी जो जिम्मेदारी मिली है उन्होंने उस क्षेत्र में बुनियादी बदलाव किए भविष्य की जरूरतों को देखकर निर्णय लिए, नीति बनाई और उसे जमीनी हकीकत में तब्दील किया। उन्होंने बहुत पहले यह समझ लिया था कि युवाओं को अगर रोजगार उपलब्ध करवाना हैं, तो शिक्षा के साथ कौशल विकास बहुत जरूरी है। जब वे रोजगार की बात करते है तो उनके मस्तिष्क में इंजीनियर, डॉक्टर या स्नातक-स्नातकोत्तर शिक्षा पाए लोगों की चिंता नहीं होती है बल्कि वे उस बेरोजगार के लिए भी सोच रखते है जो पाँचवीं, आठवीं पास है। उनका छिंदवाड़ा मॉडल का रोजगार क्षेत्र इसी सोच के अनुरूप बना है। उन्होंने शिक्षित लोगों के साथ अशिक्षित लोगों को रोजगार मिले इसके लिए ऐसी संरचना तैयार की कि लोग अपने कौशल विकास से सम्मानित रोजगार प्राप्त करने में सफल हुए। राजनीति में इस तरह की दृष्टि और उसे दिशा देने वाले नेता कमतर ही है। 

       बेहतर भविष्य की उनकी सोच हर क्षेत्र में इतनी गहरी है कि वह सतही परिवर्तन नहीं करती बल्कि वह मूल में जाकर जड़ों को मजबूत बनाती है। किसानों की ऋण माफी को वो कृषि क्षेत्र की हालात में सुधार लाने का समाधान नहीं मानते। वे इसे एक ऐसी राहत मानते हैं, जो किसानों को आगे बढ़ने के लिए या तनाव मुक्त होने में सहायक होती है। कृषि क्षेत्र को उन्नत बनाने के लिए उनकी स्पष्ट मान्यता है कि जब तक हम किसानों के बढ़ते हुए उत्पादन का उपयोग उनकी आय दोगुना करने में नहीं करेंगे तब तक किसानों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाना असंभव है। जब वे मुख्यमंत्री बने और दो घण्टे के अंदर किसानों की ऋण माफी का निर्णय लिया तो वे इस बात के लिए अपनी पीठ नहीं थपथपाते कि उन्होंने 20 लाख किसानों का कर्ज माफ कर दिया और आने वाले दिनों 18 लाख किसानों का कर्ज और माफ करेंगे। कर्ज माफी के साथ ही उनकी खेती-किसानी को आय से जोड़ने की चिंता शुरू हो जाती है। वे खाद्य प्र-संस्करण इकाइयों की बात करते है। सोच है तो परिणाम मिलेंगे ही। आज प्रदेश में खाद्य प्र-संस्करण इकाईयां स्थापित हो रही हैं, कई स्थानों पर स्थापित हो गई हैं। इसके जरिए वे किसानों के उत्पादन से उनकी आय कैसे दोगुना हो, इस बारे में सोचना शुरू कर देते है। उन्होंने किसानों को कर्ज माफी, बिजली एवं अन्य सुविधाएँ देने के बुनियादी निर्णय लिए लेकिन उसके बाद उनके लिए एक समग्र योजना बनाना प्रारंभ कर दिया, जो आने वाले दिनों में किसानों की खुशहाली की दिशा में एक बड़ा क्रांतिकारी बदलाव का आधार बनेगी। 

       समाज के कमजोर तबके के प्रति उनकी संवेदनशील सोच का ही नतीजा था कि उन्होंने आते ही बुजुर्गों की पेंशन राशि को बढ़ाकर 300 से 600 रुपए किया जिसे वे 1000 रुपए तक बढ़ाएंगे। गरीब परिवार की कन्याओं के विवाह के लिये दिए जाने वाले अनुदान राशि को 28 हजार से बढ़ाकर 51 हजार रुपए कर दिया। यह मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार है और अगर हम यह कहे कि ऐसा भी पहली बार हुआ जब बढ़ते हुए बिजली बिल को थामते हुए उन्होंने इंदिरा गृह ज्योति योजना के जरिए गरीब से लेकर मध्यम वर्ग तक को राहत पहुँचाई। एक मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने बिजली बिल के जो स्लेब निर्धारित किए, उससे लोगों की जेब को तो राहत मिली ही साथ ही ऊर्जा बचत के लिए भी उनका यह कदम आज के समय में उनकी भविष्य की बेहतर सोच का अनूठा उदाहरण है। आदिवासी समाज को साहूकारों के कर्ज से मुक्त करने का क्रांतिकारी निर्णय लिया, पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लिया। ग्यारह माह में इतने बड़े फैसले और उन पर अमल भी शुरू हो गया। मुख्यमंत्री घोषणाएं नहीं करते हैं वे कहते हैं मैं काम करता हूँ और उन्होंने मध्यप्रदेश की बेहतर तस्वीर के लिए ऐतिहासिक बदलाव कर दिए। 

       विश्वास है तभी निवेश आएगा उनकी इस वन लाइनर सोच ने उनके 11 माह के शासनकाल में ‍प्रदेश में उद्योग और निवेश के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी परिवर्तन की शुरूआत की है। कार्यभार सम्हालने के दो माह बाद ही उन्होंने मिंटो हॉल में मध्यप्रदेश में उद्योग, व्यापार, व्यवसाय से जुड़े लोगों की गोलमेज कॉन्फ्रेंस बुलवाई। कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य था प्रदेश में निवेश में आने वाली बाधाओं को जानना। यह जानना वे इसलिए जरूरी मानते हैं क्योंकि जब तक हम हमारे ही प्रदेश में उद्योग और व्यवसाय के क्षेत्र में काम कर रहे लोग अगर सरकार की उद्योग एवं निवेश नीति से असंतुष्ट है, तब हम नए निवेश की कल्पना कैंसे कर सकते हैं। वे कहते है कि यह हमारे ब्रांड एम्बेसडर हैं, अगर हमने इनकी समस्याओं का समाधान कर दिया तो ये ही लोग प्रदेश में नए निवेश की ब्रांडिंग करने में मददगार साबित होंगे। नीतियों को लेकर उनकी सोच ही अभिनव है। वे कहते है कि नीतियाँ वही सफल होती हैं, जो निवेश को या किसी अन्य को आकर्षित करती है उनकी मदद करती है। सिर्फ नीति बनाकर बैठ जाने से परिणाम हासिल नहीं होते। “मैग्नीफिसेंट मध्यप्रदेश” के आयोजन की सफलता इस बात का प्रतीक है कि उन्होंने अपने अल्प कार्यकाल में ही मध्यप्रदेश के प्रति उद्योग जगत और निवेशकों के विश्वास को प्राप्त किया। मुकेश अंबानी, आदि गोदरेज, इंडिया सीमेंट के श्रीनिवासन, रवि झुनझुनवाला से लेकर जितने उद्योगपति मैग्नीफिसेंट मध्यप्रदेश में शामिल हुए उन्होंने निवेश के क्षेत्र में मुख्यमंत्री की साहसिक सोच और दूरदृष्टि की सराहना की। आज के किसी राजनेता को यह खिताब मिलना दुर्लभता की श्रेणी में ही गिना जाएगा। 

       विरासत में मिले खाली खजाने और जर्जर अर्थ-व्यवस्था के बीच जो दायित्व कमल नाथ जी को मिला और उन्होंने अपने कुशल प्रबंधन के साथ जिस तरह सभी चुनौतियों का सामना किया उससे पता चलता है कि वे किस कद के नेता है। किसानों की कर्ज माफी आसान नहीं थी पर अपने इस वचन को उन्होंने जिस कौशल से पूरा किया, वह एक शोध का विषय है। वे उन नेताओं में शुमार नहीं है जो लोकप्रियता के लिए अर्नगल घोषणाएँ करते है। कांग्रेस का वचन-पत्र जब तैयार हो रहा था तो उन्होंने हर वचन को पूरा करने के लिए आने वाली चुनौतियों को समझा और उसके समाधान की भी तैयारी की। यही कारण है कि वे सरकार बनते ही मात्र 73 दिनों में 83 वचनों को पूरा करने जैसा बड़ा काम कर पाये।

       त्वरित निर्णय, समय – सीमा, क्रियान्वयन, गुणवत्ता, परिणाम और समय प्रबंधन कमल नाथ जी के दैनंदिन काम का अहम हिस्सा है। इससे वे कोई भी समझौता नहीं करते है। वे जब विभागों की समीक्षा करते है तो उनकी विभागीय गतिविधियों के आकलन इन बिन्दुओं पर ही आधारित होते हैं। वे समस्या और उसके समाधान को जितनी शीघ्रता से समझते है, वह उनका दुर्लभ गुण है। वे योजनाओं की डिलेवरी सिस्टम पर जोर देते है। उन्होंने कहा कि योजनाएँ चाहे कितनी अच्छी हो लेकिन उसका क्रियान्वयन जमीन पर जरूरतमंदों को लाभान्वित नहीं कर रहा है तो वे सिर्फ हमारी सरकार की सजावट का ही हिस्सा है।  वे इस सजावट को खत्म करके योजनाओं की क्रियान्वयन व्यवस्था को सुधारने के लिए निरंतर काम कर रहे हैं। वे हर काम की समय – सीमा का निर्धारण करते हैं। गुणवत्ता और परिणाम सुनिश्चित हो, इस पर उनकी पैनी निगाह रहती है। समय प्रबंधन के मामले में उनका कोई सानी नहीं है। अगर 11 बजे का समय दिया है तो कमल नाथ जी 11 बजने में पाँच मिनिट पहले पहुँच जाएँगे, लेकिन पाँच मिनिट बाद नहीं। 

       मुख्यमंत्री कमल नाथ की साफ नीयत और नीति, ईमानदार कोशिशों से मध्यप्रदेश में पिछले 10-11 माह में जन- उम्मीदें पूरी होने लगी हैं। ऊर्जावान सोच, बगैर शोरगुल, आत्म-प्रशंसा से दूर और सधे हुए कदमों के साथ उनकी पदचाप और उनके फैसलों की धमक, जन और तंत्र के बीच महसूस होने लगी है। पाँच साल बाद निश्चित ही मध्यप्रदेश की तस्वीर उज्जवल होगी और प्रदेशवासियों की तकदीर बेहतर होगी।

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