रविवार को मुख्यमंत्री ने एम जामगांव में की थी पैरादान की अपील, इसके बाद एक दिन में ही पूरे जिले में एकत्र हो गया 1119 क्विंटल पैरा

ग्रामीणों ने किया इतना पैरादान की अब रबी फसल तक चारे की चिंता नहीं
आंदोलन की तरह लोगों ने अपनाया,
खुद ट्रैक्टर से गौठान तक छोड़ने आए
इससे पहले इस्तेमाल के लिए रखकर शेष पैरा जला देते थे,
अब इसका उचित इस्तेमाल हो पाएगा
दुर्ग। धान खरीदी के अवसर पर जामगांव एम पहुंचे मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने ग्रामीणों से अपील की थी कि गौठान आपके अपने हैं। अपने पशुधन संवर्धन के लिए, फसल को बचाने के लिए पैरादान के लिए आगे आएं। इसका असर आज पूरे जिले भर में महसूस हुआ। सभी गांवों में ग्रामीणों ने मुक्तहस्त से पैरादान किया। दोपहर दो बजे तक गौठानों में 1119 क्विंटल पैरा एकत्रित हो चुका था। सोमवार को कलेक्टर श्री अंकित आनंद ने सरकारी अमले को भी निर्देशित किया था कि इस कार्य के लिए व्यापक स्तर पर जनजागरूकता फैलाएं तथा ग्रामीणों की यथासंभव मदद करें। आज स्थानीय अमले ने पूरे समय ग्रामीणों के साथ चर्चा की। गांव भर में मुनादी कराई गई। आज सीईओ जिला पंचायत श्री कुंदन कुमार भी सभी गौठान वाले गांवों में गए। उन्होंने लोगों से आग्रह करते हुए कहा कि गौठान में पशुओं के लिए जितना अधिक चारा रहेगा, उतना ही मवेशियों द्वारा फसल नष्ट होने का खतरा घट जाएगा। इसका सीधा लाभ ग्रामीणों को ही मिलेगा। जिन गांवों में गौठानों में पशु रखे गए, वहां की फसलें सुरक्षित रहीं। यहां कंपोस्ट खाद का उत्पादन भी शुरू हो गया है। जैविक खाद की डिमांड मार्केट में बहुत ज्यादा है। सीईओ आज पंचायतों की बैठक में भी गए जो विशेष रूप से लोगों को पैरादान के लिए प्रेरित करने बुलाई गई थीं।
ग्रामीण स्वयं आगे आ रहे हैं पैरादान के लिए-जामगांव एम जहां मुख्यमंत्री धान खरीदी केंद्र देखने आए थे और इस अवसर पर ग्रामीणों से अपील की थी, वहां पर ग्रामीण बड़ी संख्या में आज पैरादान के लिए आगे आए। सरपंच श्रीमती पुष्पा चंद्राकर ने बताया कि पैरा इकट्ठा करने में सुविधा हो, इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा बेलर दिया गया है। बेलर बहुत तेजी से चारे का गट्ठा बना लेता है। उन्होंने बताया कि अभी किसान राकेश चंद्राकर के खेत में बेलर है। उन्होंने लगभग सात एकड़ का पैरादान किया है। उन्होंने बताया कि बेलर सुबह से आया है और अब तक 34 गट्ठे बना चुका है। एक गट्ठे में लगभग 25 किलोग्राम पैरा होता है। अब इन्हें गौठान तक छोड़ दिया जाएगा। बेलर की वजह से काम सरल हो जाता है।
इस तरह ले रहे संकल्प- पंचायत की बैठकों में ग्रामीण पैरादान का संकल्प कर रहे हैं। संकल्प की पंक्तियां इस प्रकार हैं। मैं हूं उत्कृष्ट किसान, मैं करूंगा पैरादान, बढ़ेगा गौमाता का सम्मान। अपने गौठानों के विकास के लिए ग्रामीण स्वयं आगे आ रहे हैं। रथों के माध्यम से भी लोगों से अपील की जा रही है और मुनादी भी की जा रही है।
बता रहे हैं पराली जलाने का दुष्प्रभाव- बैठकों में ग्रामीणों को पराली जलाने के दुष्प्रभाव के संबंध में भी बताया जा रहा है। पराली जलाने से हवा तो प्रदूषित होती ही है। मिट्टी पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। पर्यावरण से जुड़ी संस्था डाऊन डू अर्थ के मुताबिक पराली जलाने से एक सेमी तक मिट्टी का तापमान 33.8 डिग्री से बढ़कर 42.2 डिग्री तक पहुंच जाता है। इससे मिट्टी के स्वास्थ्यवर्धक बैक्टीरिया और फंगल नष्ट हो जाते हैं यह बैक्टीरिया तथा फंगल मिट्टी की सेहत के लिए काफी अच्छे होते हैं और इनके नष्ट होने से मिट्टी की ऊर्वरा शक्ति भी कम हो जाती है। इसके साथ ही कीटों से लड़ने की प्रतिरोध क्षमता भी पौधों की कम हो जाती है। डाऊन टू अर्थ की रिपोर्ट के मुताबिक एक टन पराली जलाने से 5.5 किलोग्राम नाइट्रोजन, 2.3 किलोग्राम फास्फोरस और 25 किलोग्राम पोटैशियम तथा 1 किलोग्राम सल्फर मिट्टी खो बैठती है।
इतना प्रदूषण हो सकता था- अनुमान के मुताबिक एक टन पराली जलाने पर हवा में तीन किलो कार्बन कण, 60 किलो कार्बन मोनो आक्साइड, 200 किलो राख, 1500 किलो कार्बन डाइआक्साइड, 2 किलो सल्फरडाई आक्साइड निकलता है। इस तरह से देखा जाए तो 1119 क्विंटल पैरा बचाने से एक दिन में वायु प्रदूषण कितना अधिक थमेगा। इससे हवा में 333 किलो कार्बन कण नहीं घुलेंगे। हवा में 6660 किलो कार्बन मोनो आक्साइड, 166500 किलोग्राम कार्बनडाइ आक्साइड, 22200 किलोग्राम राख, 222 किलो सल्फर डाई आक्साइड दुर्ग के वातावरण में नहीं घुलेगी।
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बटरेल के आंगनबाड़ी केंद्र हुए कुपोषण मुक्त, मुख्यमंत्री ने कार्यकर्ता और सहायिका को किया सम्मानित
मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत लगातार बच्चों के पोषण की मानिटरिंग कर बटरेल केंद्र क्रमांक 1 और 4 की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने की मिसाल कायम
दुर्ग। प्रदेश को कुपोषण मुक्त करने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा चलाये जा रहे मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के जमीनी नतीजे मिलने लगे हैं। जहां अच्छा कार्य हो रहा है उसकी प्रशंसा स्वयं मुख्यमंत्री द्वारा की जा रही है। बटरेल केंद्र क्रमांक 1 और ४ पूरी तरह कुपोषण मुक्त आंगनबाड़ी केंद्र के लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हुए। यहां से तीन बच्चों को सतत मेहनत और मानिटरिंग कर कुपोषण के दायरे से निकाला गया। इसके लिए मुख्यमंत्री ने बटरेल में आयोजित विभिन्न विकास कार्यों के लोकार्पण एवं भूमिपूजन कार्यक्रम में बटरेल क्रमांक 1 की कार्यकर्ता श्रीमती कौशल्या शर्मा एवं सहायिका श्रीमती डोमेश्वरी साहू तथा बटरेल क्रमांक 4 की कार्यकर्ता श्रीमती शैलबाला कौशिक एवं सहायिका श्रीमती दीपिका साहू का सम्मान किया। जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री विपिन जैन ने बताया कि मुख्यमंत्री सुपोषण मिशन के अंतर्गत बच्चों को एक्सट्रा सप्लीमेंट दिये जा रहे हैं। कलेक्टर श्री अंकित आनंद के निर्देशानुसार कुपोषित बच्चों को चिकी प्रदान किया जा रहा है। 0 से 3 साल तक के बच्चों को चिन्हांकित कर इन्हें विशेष रूप से भोजन कराया जा रहा है। श्री जैन ने बताया कि 6 माह से 54 माह तक के 10 हजार कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन किया गया है। इन्हें एक्सट्रा सप्लीमेंट के साथ ही चिकी भी दिया जा रहा है। इसके लिए व्यापक जनभागीदारी के अंतर्गत भी कार्य किया जा रहा है। पाटन परियोजना के अधिकारी श्री सुमीत गंडेचा ने बताया कि कौशल एवं डोमेश्वरी ने सुपोषण अभियान के अंतर्गत बहुत अच्छा काम किया। उन्होंने न केवल कुपोषित बच्चों के पोषण का ध्यान रखा अपितु नियमित गृहभेंट आदि के माध्यम से अभिभावकों से भी मिलती रहीं ताकि घर में भी बच्चों का उचित ख्याल उनके परिजन रख सके। जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री जैन ने बताया कि व्हाटसएप के माध्यम से नियमित रूप से अधिकारियों द्वारा सुपोषण अभियान की मानिटरिंग की जा रही है जिससे जमीनी नतीजे बेहतर हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना के माध्यम से भी स्वास्थ्य परीक्षण शिविरों का आयोजन किया जा रहा है ताकि इस दिशा में भी कार्य कर कुपोषण को पूरी तरह रोका जा सके।