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करोना पैकेज का खर्चा और आंकड़ा सिर्फ जबानी जमा खर्च
निर्मला की जुमलेबाजी से देश सदमे में है
मजदूर किसान व्यापारी नौकरीपेशा छोटे कारोबारियों लघु और मध्यम उद्योग – किसी को भी तो कुछ नहीं दिया
राहत की जिनको जरूरत थी उनमें से किसीको भी राहत नहीं मिली
चंद चहेते उद्योगपतियों को सब कुछ सौंप देने से और बेच देने से करोना में क्या मदद मिलेगी?
रायपुर। कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि 12 मई को मोदी जी ने बहुत बड़ी घोषणा की थी कि करोना से लड़ने 20 लाख करोड़ का पैकेज दिया जाएगा। पूरे देश को उम्मीद और आशा बंधी थी कि शायद अब मोदी जी को गरीबों का, लाचारों का दुख और दर्द समझ में आ गया है। शायद अब मोदी जी को समझ में आ गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। वो इससे निपटने ठोस कदम उठाने जा रहे हैं और। लेकिन जो पांच धारावाहिक वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने देश को दिखाए, उसके बाद ये बात साफ है कि मोदी सरकार गरीब का, कमजोर का और यहाँ तक कि मध्यम वर्ग का भी दर्द नहीं समझ रही है।
शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि वित्तमंत्री ने कहा है कि हमें जब अतिरिक्त बोरोइंग दिखेगी, तभी पता चलेगा कि कितना खर्चा हुआ है और इसका जो फिगर आर्थिक विशेषज्ञों ने लगाया है, वह जीडीपी के 1 प्रतिशत से भी कम है। जीडीपी से जो अतिरिक्त खर्चा हो रहा है वो मात्र 0.91 प्रतिशत है। मोदी सरकार ने लोगों के दुखदर्द की बुरी तरीके से अनदेखी की है।
करोना से बुरी तरह से प्रभावित लोगों में देश में 13 करोड़ परिवार वो हैं जो सबसे निचले तबके से बाहर हैं। गरीबों प्रवासी मजदूरों किसानों भूमिहर कृषि मजदूरों दिहाड़ी मजदूर काम करने वालों और जिन लोगों ने अपनी नौकरी खोई है, उनकी संख्या 14 करोड़ से ज्यादा हैं।जिनकी नौकरी गई है, जिनकी छटनी हुई है, वो लोग अलग है। अपंजीकृत व्यवसायियों, असंगठित क्षेत्र के वो लोग, जिनकी नौकरी चली गई है, स्वरोजगार करने वालों, 7 करोड़ दुकानदार और वह मध्यम वर्ग, जिसका पैसा समाप्त हो चुका है और वो ऋण लेने के लिए मजबूर है अलग हैं । इसी तरह करीब-करीब 6 करोड़ एमएसएमई भी इसमें दरकिनार किए गए हैं। सरकार ने इन सबके दर्द, उनकी वेदना की अनदेखी कर उन सबसे मुंह फेर लिया है।
मोदी सरकार की असंवेदनशीलता का सबसे बड़ा प्रमाण है प्रवासी मज़दूरों की अनदेखी। उन असहाय लोगों की आँख का एक आंसू नहीं पोंछा सरकार ने, बल्कि अपने फैसलों से उनके घाव पे नमक छिड़कने का काम ज़रूर किया है।
करोना की भयावह मानवीय त्रासदी का यह विकराल रूप मोदी सरकार की गलत नीति विफल प्रबंधन और गलत नियत के कारण सामने आया है।
शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि पैकेज के नाम पर सिर्फ चंद चहेते उद्योगपतियों को सब कुछ सौंप देने से और बेच देने से सभी वर्गों में अतिशय निराशा है।
कांग्रेस मांग करती है कि फिर से समीक्षा कर एक “फिस्कल स्टिमुलिस पैकेज” जो वाकई में अर्थव्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त कर सके। उसे घोषित किया जाए, लोन मेलों से बचा जाए और इस तरह के जो फिगर्स इधर-उधर से लाकर डालने से वित्तमंत्री बचें। वाकई में देश की दिल से मदद करने की हम मोदी सरकार से मांग करते हैं।
शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि जो करोना पैकेज का खर्चा और आंकड़ा सामने आया है, वो सिर्फ जबानी जमा खर्च है। वित्तीय वर्ष 2021 का जो एक्सपेंडीचर बजट था, वो 30,42,230 करोड़ था और उसके अतिरिक्त खर्चा बजट के अतिरिक्त मात्र 1.86 लाख करोड़ है। इसमें राजस्व को होने वाला टैक्स की छूट पर 7500 करोड़ रुपए का नुकसान है। गरीब कल्याण पैकेज में कैश ट्रांस्फर 35 हजार करोड़ का किया गया, और जो अनाज मुफ्त में बांटा गया, वो 60 हजार करोड़ का लगभग था। मेडिकल और हैल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर 15 हजार का खर्चा हुआ है। ईपीएफ दर मे जो कटौती हुई है, उसमें खर्चा 6,750 रुपए करोड़ का हुआ है। ईपीएफ का सहयोग, जो सरकार ने किया है, सरकार ने कहीं पर भी वेतन देने की बात नहीं की है, जो सहयोग किया वो 2,800 करोड़ रुपए का है। प्रवासी मजदूरों को जो मुफ्त अनाज दिया जाएगा, महज 3,500 करोड़ रुपए का है। जो शिशु लोन की सब्सिजी है, वो 1,500 करोड़ रुपए की है और हम मान कर चल रहे हैं कि ये पूरी की पूरी इस वित्तीय वर्ष में दे दी जाएगी। केसीसी द्वारा अतिरिक्ट क्रेडिट और फिर से हम मान कर चल रहे हैं कि पूरी की पूरी वित्तीय वर्ष मे दे दी जाएगी। ये पूरी आपूर्ति 8 हजार करोड़ रुपए है। टॉप टू टोटल ऑपरेशन ग्रीन्स 500 करोड़ रुपए का है, दो साल के लिए हर्बल कल्टीवेशन का प्रमोशन 4,000 करोड़ रुपए का है। वायबिल्टी गैप फंडिंग फिर से हम मान कर चल रहे हैं कि पूरी की पूरी वित्तीय वर्ष मे ये पैसा आवंटित हो जाएगा जो 8,100 करोड़ रुपए का है और मनरेगा के लिए 40,000 करोड़ रुपए दिए गए। इनका सम टोटल जो है, वो 1,86,650 करोड़ रुपए आता है, इसके एक नया पैसा ज्यादा नहीं है।