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छत्तीसगढ़

भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी यह मान चुका है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के मुकाबले भाजपा कहीं नहीं

छत्तीसगढ़ में भाजपा का अस्तित्व बचाने मोदी, शाह, नड्डा सहित केंद्रीय मंत्री लगा रहे हैं दौड़, ठेके पर प्रभारी, स्थानीय नेता और कार्यकर्ता उपेक्षित  

 

       रायपुर। डेढ़ महीने के भीतर प्रधानमंत्री मोदी के संभावित दूसरे दौर और गृह मंत्री अमित शाह के तीन-तीन बार छत्तीसगढ़ दौरे को लेकर तंज कसते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि दरअसल भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी यह मान चुका है कि भाजपा छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के मुकाबले में कहीं पर नहीं है। 15 साल वादाखिलाफी और कुशासन के बाद 2018 के चुनाव में 90 में 15 सीटों पर आने वाली भाजपा के अब तो छत्तीसगढ़ में कुल 13 ही विधायक बचे हैं। विगत 4 वर्ष में चार प्रदेश अध्यक्ष बदले, 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान धरमलाल कौशिक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे। विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार का ठीकरा फोड़ते हुए धरमलाल कौशिक को अध्यक्ष पद से हटाया फिर वे नेता प्रतिपक्ष बनाए गए। ढाई साल में ही धरमलाल कौशिक नेता प्रतिपक्ष से भी हटा दिए गए और उनके स्थान पर सबसे निष्क्रिय विधायक नारायण चंदेल को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी गई। धरमलाल कौशिक के बाद बस्तर के आदिवासी नेता विक्रम उसेंडी को भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया और साल भर के भीतर ही उनको भी हटाकर विष्णुदेव साय को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाए। विक्रम उसेंडी और विष्णु देव साय अपनी कार्यकारिणी भी नहीं बना पाए थे, उन्हें बेइज्जत करके बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। विष्णु देव साय को तो विश्व आदिवासी दिवस के दिन ही अध्यक्ष पद से बेदखल किया गया। साय के स्थान पर भाजपा के सबसे निष्क्रिय सांसद अरुण साव को अध्यक्ष बनाए जो बिलासपुर से सांसद है। बिलासपुर रेल्वे जोन से केवल माल भाड़े से ही केंद्र की सरकार को 22 हजार करोड़ से अधिक का राजस्व हर साल प्राप्त होता है, लेकिन यात्री सुविधा के नाम पर मोदी सरकार की उपेक्षा का शिकार है। विगत 3 वर्ष 4 माह के भीतर बिलासपुर जोन से गुजरने वाली 67 हजार से ज्यादा ट्रेनें रद्द की गई लेकिन दलीय चाटुकारिता में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और बिलासपुर के सांसद अरुण साव मौन रहे। प्रदेश सरकार ने बिलासपुर एयरपोर्ट में सुविधाएं विकसित करने 45 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की है लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने हवाई सेवाएं भी बाधित कर दी है, इस पर भी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और बिलासपुर के सांसद अरुण साव ने कभी मुंह नहीं खोला। छत्तीसगढ़ की जनता ने लोकसभा में भाजपा के 9 सांसदों को भेजा है लेकिन जब भी छत्तीसगढ़ के हक और अधिकार की बात रखनी होती है तब भाजपा सांसद मौन हो जाते हैं। छत्तीसगढ़िया जनता से आखिर किस बात का बदला ले रहे हैं भाजपाई?


       कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि 2018 से के विधानसभा चुनाव के समय भी प्रधानमंत्री मोदी चार-चार बार छत्तीसगढ़ आए, 2018 के विधानसभा चुनाव परिणाम भी सर्वविदित है। 14 अप्रैल 2018 को बीजापुर 14 जून 2018 को भिलाई 22 सितंबर 2018 को जांजगीर और 9 नवंबर 2018 को प्रधानमंत्री मोदी ने जगदलपुर में चुनावी सभा ली लेकिन छत्तीसगढ़ की जनता ने भाजपा को पूरी तरह से नकार दिया। विगत 1 वर्ष के भीतर भाजपा के दर्जनों केंद्रीय मंत्री आए, विगत डेढ़ महीने के भीतर देश के गृह मंत्री अमित शाह को तीन-तीन बार छत्तीसगढ़ दौड़ लगानी पड़ी लेकिन जनता और अपने कार्यकर्ताओं के बीच भाजपा की विश्वसनीय का संकट दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है। दिखावे के लिए भाजपा के छत्तीसगढ़ के तीन नेताओं को दिखावे के लिये राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तो बना दिया गया है लेकिन न किसी को क्षेत्रीय प्रभार, न ही किसी को कोई कार्यकारी प्रभार मिला है। 15 साल छत्तीसगढ़ की सत्ता के शीर्ष में रहने वाले रमन सिंह को प्रभारियों ने दौरा करने से मना कर दिया। रमन राज में महत्वपूर्ण पदों पर रहने वाले बृजमोहन अग्रवाल, ननकी राम कंवर राम विचार नेताम, अजय चंद्राकर, अमर अग्रवाल, राजेश मूरत और गौरीशंकर अग्रवाल जैसे नेताओं को किसी कमेटी में स्थान नहीं दिया गया। प्रदेश की चुनाव समिति के प्रभारी भी राजस्थान के ओम माथुर और सह प्रभारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडारिया बनाए गए। अब तो चर्चा है कि 90 विधानसभा में गुजरात महाराष्ट्र के 90 विधायकों को ठेके पर बुलाया गया है। जब सरकार में रहे तब 15 साल तक सौदान सिंह प्रभारी हुआ करते थे सत्ता जाते ही पिछले 6 साल में आधा दर्जन प्रभारी भी आ गए लेकिन स्थानीय नेता और कार्यकर्ताओं के हक का गला घोटना बंद नहीं किये। कॉरपोरेट की गुलाम भाजपा अब छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में भी प्रभारी और पैड वर्कर के माध्यम से जा रही है। रमन राज में सरकार में रहते भी अपने कुशासन और भ्रष्टाचार का ठीकरा कार्यकर्ताओं पर फोड़ते रहे। अपने ही कार्यकर्ताओं को कमीशन खोर कहा और अब भाड़े में पार्टी को चलाने की परंपरा से छत्तीसगढ़ के भाजपा का कार्यकर्ता उपेक्षा और तिरस्कार से कुंठित हैं।

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