मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जनता से रोका छेका के लिए आगे आने की है अपील
रायपुर। प्रदेश प्रवक्ता सुरेन्द्र शर्मा ने एक विज्ञप्ति में कहा कि यह हमारी शुद्ध ग्रामीण व्यवस्था है जो परंपरा से चला आ रही है, इस व्यवस्था में फसल बोने के बाद मवेशियों के खुले चरने पर प्रतिबंध लग जाता है। पिछले कुछ वर्षों में गांव की बहुत सारी अच्छी परम्पराएं कमजोर हुई है जिसमे रोका छेका भी शामिल है। अक्सर लोग मवेशियों को खुला छोड़ देते है और वे फसल को नुकसान पहुंचाते हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ग्रामीण पृष्टभूमि के हैं अच्छी बात यह है कि उन्हें हमारी समृद्ध परम्पराओ का ज्ञान है। साथ ही उनके प्रति श्रद्धा भी है। ऐसे में एक मुख्यमंत्री द्वारा रोका छेका की बात करना एक समझदार कृषक की चिंता भी है जो स्वागतेय है।
सुरेन्द्र शर्मा ने कहा कि हर काम को सरकार करे यह भी ठीक नही है हम लोग देखते है कि मवेशियों के खुले घूमने से वे स्वयं भी दुर्घटना ग्रस्त होते है, फसल को नुकसान पहुंचाते है। गांवों में चरागन सिमट गये है मवेशियों पर खेती निर्भर नहीं रह उसकी जगह मशीनों ने ले लिया है, जैविक खाद की जगह रासायनिक खाद एवं कीटनाशक दवाइयों का बेहिसाब इस्तेमाल हो रहा है जो कई बीमारियों का कारण है। कृषि उपज ने अपनी नैसर्गिकता खो दिया है इसमें बदलाव की जरूरत सभी महसूस करते है किंतु पहल करने में हिचकिचाते हैं।
छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने इस अनछुए पहलुओं को दिशा दिया है सरकार नरवा, गरुवा, घुरूवा, बारी योजना के तहत परम्पराओ की पुनर्जीवन देने के लिए प्रयासरत है। योजना जब सिर्फ सरकारी होती है तो वह कम असरकारी होती है किंतु जनता इस विषय को अपने हितकारी मानकर सहयोग में संलग्न हो जाय तो यह आंदोलन बन सकता है।
प्लास्टीक मुक्त,गन्दगी मुक्त,जैविक खेती, साफ और सुंदर तालाब आपसी सहकार हमारे गांव की कभी पहचान थी उसे फिर से हासिल करना है। 20 जून को व्यापक पैमाने पर रोका छेका को लेकर जनजागृति लाने का संकल्प हर किसान को लेना चाहिए।
सरकार ने कदम बढ़ाया है आइए हम कदम से कदम मिलाकर रोका छेका सहित सभी ग्रामोदय योजना को सफल बनायें।