भाजपा सरकार में स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल, नहीं हो रहा है आयुष्मान कार्ड से इलाज, एम्स में भी सेवाएं बाधित
भाजपाईयों के झूठ, जुमला और वादाखिलाफी से इलाज से वंचित जनता, बे-मौत मरने मजबूर है
विष्णु देव सरकार दुर्भावनापूर्वक भ्रष्टाचार के लिए अवसर तलाशने में स्वास्थ्य व्यवस्था को बाधित कर रही है
रायपुर। छत्तीसगढ़ में चरमराती स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल उठाते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि जन सरोकार से भाजपा सरकारों का कोई वास्ता नहीं है। भाजपा की सरकार आते ही आम जनता इलाज के लिए भटक रही है। महंगाई, बेरोजगारी और घटती आमदनी से जूझ रही जनता को निःशुल्क और रियायती दर पर इलाज से महरून करके बे-मौत मरने छोड़ दिया गया है। अस्पताल प्रशासन आयुष्मान भारत के लंबित भुगतान के लिए भटक रहे हैं, इसका नुकसान भी मरीज को ही उठाना पड़ रहा है क्योंकि ज्यादातर निजी अस्पताल बहाने करके कार्डधारियों का आयुष्मान कार्ड से इलाज से परहेज कर रहे हैं और मरीजों पर नगदी जमा करने दबाव बना रहे। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में कर्मचारी हड़ताल पर हैं, ना ओपीडी चल रहा है, ना ही रजिस्ट्रेशन, बिलिंग, एडमिशन और सेंपलिंग। डॉक्टर, नर्स, तकनीशियन और कर्मचारी की कमी से जूझ रहे एम्स में अब संविदा कर्मियों को निकालना को लेकर भाजपा सरकार के खिलाफ़ कर्मचारियों का आक्रोश फूट पड़ा है।
आयुष्मान भारत के नाम पर केंद्र की मोदी सरकार ने केवल छल ही किया है। असलियत यह है कि केंद्र की मोदी सरकार ने 2018 में योजना लागू होने के बाद से प्रीमियम की समीक्षा ही नहीं की है, वर्तमान में प्रीमियम लगभग दुगुने से अधिक हो गया है जिसका पूरा बोझ राज्य सरकार उठाने सक्षम नहीं हैं, जिसका नुकसान मरीजों को उठाना पड़ रहा है। मोदी सरकार का दावा तो आयुष्मान योजना में 60 प्रतिशत राशि वहन करने का है, लेकिन असलियत में केंद्र का योगदान प्रीमियम का 25 प्रतिशत से भी कम है। 75 प्रतिशत प्रीमियम राशि का भार राज्य सरकारों को उठाना पड़ रहा है जिसके चलते योजना के क्रियान्वयन में समस्या आ रही है। भाजपाईयों के झूठ, जुमला, लफ्फाजी और वादाखिलाफी के चलते आम जनता इलाज से वंचित है और बे-मौत मरने मजबूर है।