अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के भूमिपूजन में भगवान राम के ननिहाल कोशल राज्य (छत्तीसगढ़) की उपेक्षा
भगवान राम की माता कौशल्या के मायके छत्तीसगढ़ से किसी भी साधु-संत, धर्माचार्य को नही बुलाया गया
जब राम मंदिर के भूमिपूजन में अडानी-अम्बानी आ सकते है तो आदिवासी, सतनामी, कबीरपंथी धर्मगुरु क्यो नही
आरएसएस, विहिप और मंदिर निर्माण समिति द्वारा निर्धारित 600 अतिथियों की सूची में राम भगवान के ननिहाल से किसी को आमंत्रित नही किया गया
कोसल राज्य के आदिवासी, सतनामी, कबीरपंथी धर्मगुरुओं को भी दरकिनार किया गया
माता कौशल्या के मायके के मुखिया भूपेश बघेल को सपत्नीक भूमिपूजन में आमंत्रित करना चाहिये
रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता एवं प्रदेश सचिव विकास तिवारी ने उत्तर प्रदेश राज्य के पावन नगरी अयोध्या में 5 अगस्त को होने वाले बहुप्रतीक्षित मर्यादा पुर्षोत्तम भगवान राम के मंदिर के भूमि पूजन आयोजन का स्वागत किया है और कहां है कि भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम राजा रामचंद्र का भव्य मंदिर और रामराज्य की कल्पना जो भारतवर्ष के पूर्व युवा प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने देखा था और रामलला के पूजन हेतु सालों साल बंद पड़े मंदिर का ताला खुलवाया था जिसके बाद कि पूरे देश और विदेश के राम भक्त राम लला के दर्शन कर सके। 5 दिसंबर को होने वाले अयोध्या के भूमि पूजन कार्यक्रम में मंदिर निर्माण समिति द्वारा पूरे देश से 600 से अधिक लोगों को आमंत्रित किया गया है जिसमें कि अधिकतर आर एस एस विश्व हिंदू परिषद और बड़े औद्योगिक घराने से तालुकात रखते हैं।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य में भारतीय जनता पार्टी का शासन है जिसके की कारण राजनीतिक वैमनस्यता के कारण मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के ननिहाल कौशल प्रदेश जो कि माता कौशल्या का मायका है जहां भगवान राम ने अपने वनवास के अधिकतम समय व्यतीत भी किये हैं और जहां पर विश्व का एकमात्र माता कौशल्या का मंदिर भी है उस कौशल प्रदेश छत्तीसगढ़ राज्य के किसी भी धर्मगुरु साधु संत,धर्माचार्य और प्रदेश प्रमुख को आमंत्रण नहीं दिया गया जबकि छत्तीसगढ़ राज्य बाबा गुरु घासीदास की जन्मस्थली और तपोभूमि है दामाखेड़ा में कबीर पंथ के संस्थापक कबीर दास जी के वंशज निवासरत है और वनवास के समय मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम कौशल राज छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्रों में काफी समय व्यतीत किए हैं जहां के आदिवासी समाज भी प्रभु श्रीराम के पर गहरी आस्था रखते हैं और उन्हें अपना आराध्य भी मानते हैं उसके बावजूद भी ना तो सतनामी समाज के धर्मगुरु ना कबीर पंथ के कबीर साहब के वंशज और ना ही आदिवासी समाज के धर्मगुरु को अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया जिससे कि पौने तीन करोड़ की आबादी वाले भगवान राम के ननिहाल और कौशल्या माता के मायके में निराशा व्याप्त हो गई है।
माता कौशल्या के मायके कौशल राज्य छत्तीसगढ़ के प्रमुख मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा पूरे विश्व में एकमात्र स्थित कौशल्या माता के मंदिर का जीर्णोद्धार करवाने का संकल्प लिया है और निर्माण कार्य शीघ्र अति शीघ्र प्रारंभ होने जा रहा है मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कौशल्या माता के मंदिर निर्माण को तेजी से बनाने के लिए कहा है और उन्होंने कहा है कि आसपास के क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा ताकि पूरे विश्व के राम भक्त अपने आराध्य के ननिहाल कौशल प्रदेश छत्तीसगढ़ आकर माता कौशल्या का दर्शन कर सके और राम वन गमन में भी चल कर अपने आराध्य का सुमिरन कर सकेंगे।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि राजनीति से ऊपर उठकर मंदिर निर्माण समिति आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद को तत्काल माता कौशल्या के कौशल प्रदेश छत्तीसगढ़ राज्य के मुखिया भूपेश बघेल को सपत्नीक अयोध्या के राम मंदिर भूमि पूजन के कार्यक्रम में सम्मिलित होने का निमंत्रण भेजना था ताकि व माता कौशल्या के जन्म भूमि की पावन रज को अयोध्या लेजाकर भगवान राम के मंदिर के भूमि पूजन पर अर्पित कर सकें साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य के सतनामी समाज कबीरपंथी समाज और आदिवासी समाज के धर्म गुरुओं को भी निमंत्रण भेजना चाहिए ताकि वह भी अयोध्या पहुंचकर भगवान श्री राम के मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल होकर माता कौशल्या के मायके का प्रतिनिधित्व कर सके।