घटना का विवरण: 15 मई 2024 की रात गिरौदपुरी के महकोनी गांव के जैतखाम को अज्ञात व्यक्तियों ने आरी से काटा
सतनामी समाज की प्रतिक्रिया: पुलिस कार्यवाही से असंतुष्ट सतनामी समाज ने सीबीआई जांच की मांग की
आंदोलन की तैयारी: 10 जून को बलौदाबाजार में भारी संख्या में लोगों का जमावड़ा और रैली
पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर सवाल: बिहार के मजदूरों को दोषी ठहराने और जमानत पर रिहाई के बाद की स्थिति पर जांच
भाजपा की संलिप्तता: आंदोलन में भाजपा नेताओं की भूमिका की भी जांच की मांग
सामाजिक संगठनों की भूमिका: भीम आर्मी और अन्य संगठनों द्वारा भीड़ जुटाने की अपील
जांच के निष्कर्ष: प्रशासन और सरकार की लापरवाही और इंटेलीजेंस की विफलता से बलौदाबाजार में आगजनी की घटना हुई
सिफारिशें: दोषियों पर सख्त कार्यवाही और निर्दोष लोगों को रिहा करने की मांग
रायपुर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज की उपस्थिति में बलौदाबाजार की घटना की जांच के लिए गठित समिति के प्रमुख डॉ. शिवकुमार डहरिया ने अपनी जांच रिपोर्ट मीडिया के समक्ष प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट में 15 मई 2024 को घटित गिरौदपुरी के महकोनी गांव के जैतखाम को अज्ञात व्यक्तियों द्वारा आरी से काटे जाने की घटना और उसके बाद की घटनाओं का विवरण दिया गया है।
1. घटना की शुरुआत: 15 मई 2024 की रात, महकोनी गांव में स्थित जैतखाम को अज्ञात लोगों ने आरी से काटकर गिरा दिया।
2. प्रथम रिपोर्ट: 17 मई 2024 को सतनामी समाज ने इस घटना के खिलाफ गिरौदपुरी थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई।
3. पुलिस कार्यवाही: पुलिस ने तीन बिहार के निवासियों को पकड़ा और बताया कि वे मजदूर थे जो भुगतान न मिलने पर गुस्से में आकर जैतखाम को काटा था।
4. संतोष की कमी: सतनामी समाज पुलिस की कार्यवाही से संतुष्ट नहीं हुआ और उन्होंने सीबीआई जांच की मांग की। समाज ने गिरौदपुरी में एक बड़ी बैठक आयोजित की जिसमें हजारों लोग शामिल हुए।
5. आंदोलन की घोषणा: सरकार और प्रशासन द्वारा उचित संज्ञान न लेने पर, समाज ने 7 जून को प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर 10 जून को बलौदाबाजार में आंदोलन की घोषणा की। इस ज्ञापन में भाजपा के जिलाध्यक्ष सनम जांगड़े भी शामिल थे।
6. सामाजिक अपील: 10 जून के आंदोलन के लिए भीम आर्मी और अन्य संगठनों ने सोशल मीडिया पर भारी संख्या में लोगों को शामिल होने की अपील की।
7. प्रवेश और रुकावटें: महाराष्ट्र और अन्य प्रदेशों से लोग वाहनों में बलौदाबाजार पहुंचे और कुछ लोग एक दिन पहले ही आकर रुक गए।
8. आंदोलन का दिन: 10 जून को दशहरा मैदान में सुबह से ही बड़ी संख्या में लोगों का जमावड़ा शुरू हो गया। सभा में लगभग 10,000 लोग शामिल हुए और तीन घंटे तक सभा चली। इसके बाद रैली के माध्यम से कलेक्ट्रेट तक पहुंचे, जिसमें असामाजिक तत्वों ने हिंसा और आगजनी की।
जांच के दौरान उठाए गए प्रश्न:
1. बिहार के मजदूरों की भूमिका: पुलिस द्वारा पकड़े गए मजदूर बिहार के निवासी थे और भाजपा नेता भोजराम अजगले के ठेकेदार थे। उन्हें मजदूरी न मिलने पर वे 150 मीटर ऊपर पहाड़ में जैतखाम तोड़ने क्यों जाएंगे?
2. जमानत पर रिहाई: बिहार के मजदूरों को कुछ दिनों बाद जमानत पर रिहा कर दिया गया और उन्हें वापस बिहार भेज दिया गया। उनकी जांच क्यों नहीं की गई?
3. सीबीआई जांच की मांग: हजारों लोगों ने सीबीआई जांच की मांग की थी, फिर भी प्रशासन ने कोई चेतावनी नहीं दी।
4. भाजपा की भूमिका: 10 जून को आंदोलन में भाजपा के जिलाध्यक्ष और अन्य नेता शामिल थे। उनकी भूमिका की भी जांच की जानी चाहिए।
5. सोशल मीडिया की अपील: भीम आर्मी और अन्य संगठनों ने सोशल मीडिया पर भीड़ जुटाने की अपील की। इसके बावजूद प्रशासन ने मामले को गंभीरता से क्यों नहीं लिया?
6. अन्य प्रांतों से आगमन: अन्य प्रांतों से लोग बलौदाबाजार में आकर रुके, फिर भी प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया।
7. आंदोलन का प्रारंभ: 10 जून को सुबह से ही बड़ी संख्या में लोग वाहनों में बलौदाबाजार पहुंचने लगे। प्रशासन ने इस पर कोई ध्यान क्यों नहीं दिया?
8. भोजन और पंडाल की व्यवस्था: सभा स्थल पर 10,000 लोगों के लिए भोजन और पंडाल की व्यवस्था की गई थी, फिर भी प्रशासन अनजान रहा।
9. सभा स्थल की सुरक्षा: सभा स्थल पर लगभग तीन घंटे तक भाषण हुआ और उसके बाद भीड़ ने शहर के मुख्य मार्ग को तोड़ते हुए आगे बढ़ा। फिर भी प्रशासन शांत क्यों रहा?
10. हथियारों का आगमन: भीड़ में लाठी, डंडे और पेट्रोल बम कहां से आए और कैसे आए? प्रशासन ने शहर में वाहनों के प्रवेश को क्यों नहीं रोका?
11. भीम आर्मी के सदस्य: 9 जून को भीम आर्मी के सदस्य पलारी के विश्राम गृह में रुके थे। स्थानीय प्रशासन ने इसकी अनुमति क्यों दी?
12. जैतखाम का क्षेत्र: महकोनी का जैतखाम रिजर्व फॉरेस्ट एरिया में आता है। अन्य प्रांत के लोग वहां कैसे घुसे? फॉरेस्ट विभाग के बीट गार्ड की भूमिका की भी जांच की जानी चाहिए।
13. भाजपा नेताओं की उपस्थिति: सभा स्थल पर भाजपा के कई पदाधिकारी और प्रतिनिधि शामिल थे, लेकिन कांग्रेस के ऊपर आरोप लगाकर भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं।
निष्कर्ष:
जांच समिति ने पाया कि बलौदाबाजार में हुई घटना प्रशासन और सरकार की लापरवाही का परिणाम है। यदि समय रहते सरकार और प्रशासन सतर्क हो जाते और सीबीआई जांच की मांग को मान लेते, तो इस घटना को टाला जा सकता था। प्रदेश की भाजपा सरकार को दोषी ठहराते हुए समिति ने मांग की है कि दोषियों पर सख्त कार्यवाही होनी चाहिए और निरपराध लोगों को मुक्त किया जाए।