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प्रवासी पक्षियों के लिए मशहूर मुख्यमंत्री के गांव बेलौदी में बनेगा पक्षी विचरण प्रक्षेत्र

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर कलेक्टर डा. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने किया बेलौदी जलाशय का भ्रमण

बर्ड वाचिंग के लिए बड़ी संभावनाओं से भरा निर्णय

       दुर्ग। प्रवासी पक्षियों के लिए मशहूर मुख्यमंत्री के गांव बेलौदी में पक्षी विचरण प्रक्षेत्र बनाया जाएगा। प्रक्षेत्र बनने से यहां स्वाभाविक रूप से प्रवासी पक्षियों की संख्या में अभिवृद्धि होगी, साथ ही बर्ड वाचिंग के लिए और टूरिज्म के लिए भी अनूठी संभावनाएं यहां उत्पन्न होंगी। इस संबंध में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने साइट का अवलोकन किया। उनके साथ मौजूद डीएफओ श्री केआर बढ़ाई एवं संलग्न अधिकारी वनमंमडल दुर्ग श्री विवेक शुक्ला ने उन्हें विस्तार से इस साइट की विशेषताओं के बारे में जानकारी दी। उल्लेखनीय है कि जिले के जाने माने बर्ड वाचर एवं वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर श्री राजू वर्मा ने मुख्यमंत्री श्री बघेल के समक्ष बेलौदी में माइग्रेटरी बर्ड्स के कर्जवेशन के संबंध में निहित संभावनाओं के बारे में प्रस्ताव रखा था। उन्होंने बताया था कि यहां 63 प्रकार की प्रजाति के पक्षियों में से 31 तो प्रवासी पक्षी हैं। इनके संरक्षण और विकास पर काम हुआ तो बर्ड वाचिंग के मैप में बेलौदी और छत्तीसगढ़ का नाम प्रमुखता से उभरेगा। मुख्यमंत्री ने इस पर प्रशंसा जताई और इस पर कार्य करने के निर्देश अधिकारियों को दिये थे। आज साइट में मौजूद तहसीलदार एवं बर्ड वाचिंग में रूचि रखने वाले श्री अनुभव शर्मा ने विस्तार से कलेक्टर को इस सीजन में हो रही बर्डिंग की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यहां पर अलग-अलग मौसम में कैस्पियन सागर, तिब्बत और साइबेरिया से प्रवासी पक्षी आते हैं। कुछ पक्षी सीजन तक यहीं बसेरा बना लेते हैं और कुछ अच्छी खुराक लेकर आगे बढ़ जाते हैं। उन्होंने बताया कि यह प्रवासी पक्षियों के पैसेज का महत्वपूर्ण पड़ाव है। श्री शर्मा ने बताया कि आज ही यहां पर सुरखाब देखा गया जो दुर्लभ प्रजाति का पक्षी है।

इस तरह होगा विकसित-

       वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस साल इंवेटरी पर काम होगा। इसका मतलब यह है कि साल भर यहां प्रवासी पक्षियों के आने का ट्रेंड देखेंगे। इसके आधार पर इनकी खाद्य जरूरतों के डिटेल तैयार किये जाएंगे। उसके अनुरूप हैबिटेट के विकास पर कार्य किया जाएगा। इसके लिए पक्षी विज्ञानी पूरे समय रिसर्च करेंगे।

पर्यटन के लिए असीम संभावनाएं-

       फिलहाल बेलौदी ऐसी साइट है जहां बर्ड वाचिंग के लिए काफी दूर से पक्षी प्रेमी आ रहे हैं। इसका कारण यह है कि यहां दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों के देखे जाने की खासी संभावना होती है। अच्छी तरह से विकसित हुआ तो यहां पक्षियों का संरक्षण तो होगा ही, भरतपुर के केवलादेव पक्षी विहार की तरह ही यहां पर्यटन के लिए असीम संभावनाएं पैदा होंगी।

ये पक्षी पाये जाते हैं बेलौदी में-

       बार हेडेड गूस, ब्लैक हेडेड आइबिस,ब्लैक विंग काइट, कॉमन क्रेस्टल,करमोरेंट,गोल्डन प्लोवर,ग्रीन सेंड पाइपर,हुदहुद,लिटिल रिंग प्लावर,नॉर्थन पिनटेल,पेंटेड स्टोर्क,रेड नेपड आइबिस,रेड क्रेस्टेड पोचार्ड,बुलबुल,स्पून बिल स्टोर्क, शार्ट टोड स्नैक ईगल,वाइट ऑय बजार्ड, वूली नेकेड स्टोर्क,ब्लैक विंग स्टिल्ट,कॉटन पिग्मी गूस, गार्गने,लिटिल इग्रेट,ग्रेट इग्रेट,ओपन बिल स्टोर्क,सिकरा, मार्श हैरियर,बूटेड ईगल,ग्रेटर स्पॉटेड ईगल,ऑसप्रे,स्पॉटेड आउल,बर्न आउल,येल्लो ऑय बाबलर, ब्लैक रेड स्टार्ट,ब्लू थ्रोट ,कॉमन रेड शेंक,करलीव,विमरेल, ग्लॉसी आइबिस,ग्रीन बी ईटर,ग्रे हेडेड लापविंग, रेड लैप्विंग, येलो लैप्विंग, लेजर विजलिंग डक, सुर्खाब(रूडी शेलडक),चातक(कूकू),ओरिएंटल डार्टर,रॉसी स्टर्लिंग,चेस्टनट स्टर्लिंग,सफेद खंजन(वाइट वैगटेल),पिला खंजन(येल्लो वैगटेल),कापर स्मिथ बर्बेट, हनी बजार्ड,नाईट हेरॉन,पर्पल हेरॉन,ग्रे हेरॉन,गोल्डन ओरियल,इंडियन पैराडाइस फ्लाईकेचर ,डिजर्ट वीटर पर्पल मोरहेन, जैकाना कामन टील, गढ़वाल,लिटिल ग्रेबे, साइबेरियन स्टोनचैट,इंडियन क्राउसर,ईगल आउल,नाईट जार,यूरेशियन राइनेक, इंडियन रोलर,ग्रे हॉर्न बिल,येल्लो फूटेड ग्रीन पिजन,श्राईक,स्नैप,कॉमन कूट, कॉमन पोचार्ड,क्रेस्टेड ग्रेबे।

 

 

रबी के मौसम में अपने सूखे खेत देख कर अब उदास नहीं होंगे बोरेन्दा के किसान

पाटन  विकासखंड के बोरेन्दा में 3.30 करोड़ रुपए की लागत से सौर सामुदायिक सिंचाई परियोजना शुरू

लिफ्ट इरिगेशन के माध्यम से खेतों में पहुंचेगा खारुन का पानी

217 किसानों को होगा फायदा अब खरीफ के साथ रबी के मौसम में कर सकेंगे खेती

100 हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा निर्मित

सिंचाई परियोजना की शुरुआत हुई और गेहूं

चना लगाने के लिए खेतों को करने लगे तैयार

दुर्ग। हमारा देश और प्रदेश खेती किसानी के लिए ही जाना जाता है। हमारे अन्नदाता ही हैं जो देश को अपने कंधे पर उठाए हुए हैं। सुबह की चाय से शुरू होकर दिन भर अन्न का हर एक दाना जो हम खाते हैं इन्हीं किसानों की देन है।

       यदि ये कहा जाए कि इन्हीं की मेहनत के बदौलत देश हमारा नित नए कीर्तिमान स्थापित कर ही रहा है तो अतिश्योक्ति न होगी क्योंकि इन किसानों के उपजाए अन्न की ऊर्जा ही हम सबके शरीर में दौड़ रही है। अगर अन्नदाता के खेतों को पानी न मिले तो सोचिए क्या होगा।

       लेकिन खेती की पहली जरूरत होती है पानी कहते हैं पानी बिना सब सून कुछ ऐसी ही कहानी थी। पाटन विकासखंड के बोरेन्दा गांव की। किसान केवल खरीफ के मौसम में फसल ले पाते थे। यहां पर सिंचाई पूर्ण रूप से वर्षा आधारित हुआ करती थी। किसान चाह कर भी रबी मौसम में कोई फसल नहीं ले पाते थ। अपने खेतों को सूखा देखने पर विवश अन्नदाता को उम्मीद की किरण दिखाई सौर सामुदायिक सिंचाई परियोजना ने बीते 9 नवंबर को मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने बोरेन्दा गांव में 3 करोड़ 30 लाख रुपए की लागत से लिफ्ट इरिगेशन पर आधारित सौर सामुदायिक सिंचाई परियोजना का शुभारंभ किया। इस परियोजना के षुरू होने से किसानों को एक नई उम्मीद मिली है। लिफ्ट इरिगेषन सिस्टम पर आधारित इस परियोजना से 100 हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा निर्मित हुई है, इस योजना से क्षेत्र के 217 किसानों को फायदा पहुंचेगा।

       बोरेन्दा के किसान इसलिए भी खुष हैं क्योंकि अब उन्हें खेती के लिए बारिष की बाट नहीं जोहनी पड़ेगी और 12 महीने उनकी फसलों को सिंचाई की सुविधा मिल सकेगी।

       किसान बताते हैं अब परियोजना षुरू हो गई है इसलिए उन्होंने अपने खेतों को रबी फसल लेने के लिए तैयार करना षुरू कर दिया है। बोरेन्दा के साथ इस साल रबी के सीजन में गेहूं चना इत्यादि की फसलें ले सकेंगे ।

       पहले अपने खेत तक पानी लाने के लिए 495 नग पाइप लग जाते थे। जिसका खर्च भी बहुत आता था। अब किसानों को बिना परेशानी मिलेगा भरपूर पानी- बोरेन्दा के सरपंच श्री टुमेश्वर साहू बताते हैं कि नदी के किनारे होने के बाद भी बोरेन्दा के किसान के खेत इसलिए सूखे रह जाते थे। बोर कराने के बाद भी पानी नहीं निकलता था। इसलिए किसान पाइप लाइन बिछाकर पानी ले जाते थे। 400 से 500 नग तक पाइप लग जाते थे। जिस पर किसान का काफी खर्च हो जाता था। इस परियोजना के शुरू हो जाने से किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त में भरपूर पानी मिल सकेगा। सरपंच ने सभी किसानों की ओर से मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल और क्रेडा विभाग का आभार व्यक्त किया।

वर्षा पर ही निर्भर थे खरीफ की फसल भी पानी की कमी से कई बार पक नहीं पाती थी और रबी में तो कोई फसल नहीं होती थी, किसानों को लंबे समय से था इंतजार, इस परियोजना से मिली है उम्मीद – किसान ईश्वर लाल बताते हैं कि पहले खेतों में पानी पहुंचाने में बड़ी मशक्कत होती थी। कई किसान तो हिम्मत ही नहीं कर पाते थे। पाइपलाइन बिछाकर पानी की व्यवस्था करें क्योंकि खर्च भी लगता है। कई बार तो फसल भी ठीक से पक नहीं पाती थी। 9 नवंबर को जाव इस परियोजना का शुभारंभ हुआ तो किसानों के जीवन मे नई उम्मीद जगी है। बहुत वर्षों के प्रयास के बाद आज ये दिन देखने को मिला है। जिसके लिए वे छत्तीसगढ़ सरकार का मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल का आभार व्यक्त करते हैं।

लाखों रुपए खर्च करनेबके बाद भी बोर में नहीं निकलता था पानी,इसलिए किसान बसंत साहू ने किसानों के लिए कुछ ठोस पहल करने की ठानी- इस परियोजना के लिए सभी किसान बसंत साहू का बहुत आभार व्यक्त करते हैं क्योंकि गाँव के किसान यही मानते हैं कि बसंत साहू का बहुत बड़ा योगदान है। बसंत साहू पिछले 5 सालों से क्रेडा में तकनीशियन के रूप में काम जर रहे हैं, साथ ही इनकी खुद की भी खेती है। अपने खेतों में बोर खुदवाने के लिए 4 से 5 बार कोशिश कर चुके हैं। लेकिन इलाके की भूगर्भीय संरचना ऐसी है की पानी मिलता ही नहीं जमीन के अंदर चट्टाने ही मिलीं। एक बोर खुदवाने में कम से कम 30 से 35 हजार खर्च होते हैं, उनके करीब डेढ़ लाख खर्च हुए मगर सारी कोशिश बेकार गई।

       किसान बसंत साहू बताते हैं कि लंबे समय से किसानों की परेशानी देख रहे हैं। वो हमेशा यही सोचा करते थे। कैसे हम किसानों का दुख दूर हो। काफी दौड़भाग भी की। जब उनकी नौकरी क्रेडा विभाग में तकनीशियन के रूप में लगी तब से वो कोशिश कर रहे हैं। लेकिन पहले यह क्षेत्र को सौर सामुदायिक परियोजना में शामिल नहीं था। जैसे ही शासन की ओर से प्रोजेक्ट अप्रूव हुआ तो सारे किसानों के साथ मिलकर औपचारिकता पूरी की। आज उनको उनके प्रयासों का फल मिल गया है। अपने सपनो को अपनी आंखों के सामने सच होता देखने की खुशी और संतुष्टि बरबस ही उनके चेहरे पर नजर आने लगती है।

‘‘पहिली खरीफ म धान लुवन अलवा जलवा अउ रबी में जमीन रहय सुक्खा

अब मोटर पम्प लग गए हे त पानी मिलही दलहन तिलहन बोवत हन अब हमर जमीन खालीच नइ रहय’’

खोरबाहरा यादव ने खेतों में शुरू कर दी है रबी फसल की तैयारी- बोरेन्दा के किसान श्री खोरबाहरा यादव बताते हैं पहले बड़ी मुश्किल से अपने खेतों में धान की फसल ले पाते थे। कोरबा हरा यादव ने अपने छत्तीसगढ़िया अंदाज में हम से बात की और बताया कि ‘‘पहिली खरीफ म धान लुवन अलवा जलवा अउ रबी में जमीन रहय सुक्खा

       अब मोटर पम्प लग गए हे त पानी मिलही दलहन तिलहन बोवत हन अब हमर जमीन खालीच नइ रहय’’ सारे किसान खुश हैं।

       पहलि बहुत दिक्कत होत रिहिस लड़ाई झगड़ा घलो हो जात रिहिस पानी पलोये के बेरा म अब फायदा ही फायदा होही- बोरेन्दा के किसान मंगत राम साहू बताते हैं कि साहू बताते हैं कि बताते हैं कि पहले सिंचाई में बड़ी परेशानी होती थी उन्होंने खुद 495 नग पाइप लाइन बिछाकर लाइन बिछाकर पाइप लाइन बिछाकर लाइन बिछाकर अपने खेतों में सिंचाई की व्यवस्था की है जिसमें काफी खर्च हो जाता था कई बार तो गांव में आपस में बहस और लड़ाई भी हो जाती थी लेकिन अब इन सारी समस्याओं से हमें मुक्ति मिल गई है अब हम खरीफ सीजन में धान के अलावा रबी के सीजन में चना गेहूं मटर सब लगाएंगे।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने समझी किसानों की तकलीफ और दी सिंचाई परियोजना की सौगात-  बोरेन्दा के पूर्व कोटवार और किसान केवल और किसान केवल दास मानिकपुरी कहते हैं कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने किसानों की समस्या सुनी और हम सब को सिंचाई परियोजना की सौगात दी जिसके लिए हम उनका कोटि-कोटि धन्यवाद ज्ञापित करते हैं इस योजना से क्षेत्रवासियों को बहुत फायदा होगा।

खरीफ के मौसम में भी नहीं हो पाती थी ठीक से सिंचाई लेकिन अब नहीं होगी कोई दिक्कत- किसान सेवा राम साहू बताते हैं कि पहले तो इस क्षेत्र के किसान काफी परेशान रहते थे खरीफ के मौसम में भी ठीक से सिंचाई नहीं मिल पाती थी लेकिन अब हम सब बहुत खुश हैं और रबी के सीजन में भी चना गेहू मटर इत्यादि की फसल ले सकते हैं यह योजना सच में बहुत फायदेमंद साबित होगी।

मौसम आधारित खेती थी ,बारिश के बिना खेती नहीं हो पाती थी-किसान यशवंत यादव कहते हैं कि पहले मौसम आधारित किसानी करने पर हम मजबूर थे,बारिश नहीं तो खेती नहीं।लेकिन अब 12 महीने से सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होने से हम सभी किसानों को फायदा होगा।

लिफ्ट इरिगेशन के माध्यम से खारुन का पानी पहुंचेगा 217 किसानों के खेतों में 3 एकड़ में बनी है 100 किलोवाट की परियोजना,लगे हैं 320 सोलर पैनल जनवरी में शुरू हुआ रहा सर्वे,फरवरी में भूमिपूजन दिन रात मेहनत कर 8 महीनों में तैयार हुआ पूरा सेट अप’ -क्रेडा विभाग के एई टीआर श्री ध्रुव ने बताया कि और सामुदायिक सिंचाई परियोजना के लिए बोरेन्दा में जनवरी 2020 में सर्वे शुरू हुआ इसके बाद सारी संभावनाओं को जाते हुए प्रोजेक्ट अप्रूव हुआ। 6 फरवरी 2020 को भूमि पूजन के बाद निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ और  8 महीने की मेहनत के बाद 9 नवंबर 2020 को मुख्यमंत्री  श्री भूपेश बघेल के माध्यम से सिंचाई परियोजना की ये सौगात क्षेत्रवासियों को मिली।कोरोना संकट और लॉकडाउन की समस्याओं के बीच दिन रात मेहनत कर किसान भाइयों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए काम जारी रहा। उन्होंने बताया कि करीब 3 एकड़ क्षेत्र में 320 सोलर पैनल लगे हैं यह परियोजना 100 किलोवाट की है हार नदी से पानी खींचने के लिए 20 20 हॉर्स पावर के 5 पंप लगाए गए हैं। इसके बाद 100 हेक्टेयर में अंडरग्राउंड पाइप लाइन बिछाकर 217 किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाया गया है। पाटन क्षेत्र के प्रभारी सब इंजीनियर विकी चैधरी ने बताया कि इस परियोजना के शुरू होने से क्षेत्रवासी काफी खुश हैं अब उनको 12 महीने सिंचाई की सुविधा मिलेगी।

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