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Steel Industry: कार्बन उत्सर्जन कम करने 15000 करोड़ का ‘हरित इस्पात मिशन’

  • ‘विशेष इस्पात’ के घरेलू इस्पात विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 27,106 करोड़ रुपये के प्रतिबद्ध निवेश के रूप में उत्पादन सम्बंधी प्रोत्साहन (पीएलआई)।

सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। हरित स्टील मिशन (Green Steel Mission): सरकार ने उद्योग की पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ाने के लिए निर्णायक कदम उठाए हैं। इस्पात मंत्रालय कार्बन उत्सर्जन (Ministry of Steel Carbon Emission) को कम करने और नेट जीरो लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में प्रगति के लिए इस्पात उद्योग को सहायता देने के लिए 15000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाले ‘हरित स्टील मिशन’ की तैयारी कर रहा है।

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इस अभियान में हरित स्टील के लिए पीएलआई योजना (PLI Scheme), नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने और सरकारी एजेंसियों के लिए हरित स्टील खरीदने के लिए अधिदेश शामिल हैं। स्टील उत्पादन के डीकार्बोनाइजेशन में योगदान के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की अगुवाई में राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, स्टील क्षेत्र को हरित हाइड्रोजन के उत्पादन और उपयोग के व्यापक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक साथ लाता है।

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इस सम्बंध में, इस्पात क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन के विभिन्न प्रमुख पहलुओं को रेखांकित करते हुए इस्पात मंत्रालय द्वारा गठित 14 टास्क फोर्स की सिफारिशों के आधार पर ‘भारत में स्टील क्षेत्र को हरित बनाना: रोडमैप और कार्य योजना’ पर एक रिपोर्ट 10.09.2024 को जारी की गई थी।

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इस रिपोर्ट में स्टील की हरित स्टील और हरित स्टार रेटिंग को परिभाषित किया गया है। स्टील स्क्रैप रिसाइकिलिंग नीति घरेलू स्तर पर पैदा होने वाले स्क्रैप की उपलब्धता बढ़ाकर इन प्रयासों को सफल बनाती है, जिससे संसाधन दक्षता को बढ़ावा मिलता है।

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मंत्रालय ने कम उत्सर्जन वाले स्टील को परिभाषित करने और वर्गीकृत करने के मानक प्रदान करने के लिए 12 दिसंबर, 2024 को हरित स्टील के लिए वर्गीकरण जारी किया है। इससे स्टील उद्योग के हरित परिवर्तन को सुगम बनाने का रास्ता खुलता है। यह हरित स्टील के उत्पादन और इसके लिए बाजार बनाने तथा वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए रूपरेखा प्रदान करता है।

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नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने हरित हाइड्रोजन के उत्पादन और उपयोग के लिए राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की शुरुआत की है। इस मिशन में इस्पात क्षेत्र भी एक हितधारक है और इसे वित्तीय वर्ष 2029-30 तक मिशन के तहत लौह एवं इस्पात क्षेत्र में पायलट परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए 455 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।

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इस मिशन के तहत, इस्पात मंत्रालय ने 19.10.2024 को वर्टिकल शाफ्ट में 100 प्रतिशत हाइड्रोजन का उपयोग करके डायरेक्ट रिड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) का उत्पादन करने के लिए दो पायलट परियोजना और कोयले या कोक की खपत को कम करने के लिए मौजूदा ब्लास्ट फर्नेस में हाइड्रोजन का उपयोग करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है।

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प्राकृतिक गैस के आंशिक प्रतिस्थापन के लिए मौजूदा वर्टिकल शाफ्ट आधारित डीआरआई बनाने वाली इकाई में हरित हाइड्रोजन के उपयोग के लिए पायलट प्रोजेक्ट की भी खोज की जा रही है।

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स्पेशलिटी स्टील-उत्पादन से जुड़ा प्रोत्साहन (पीएलआई): ‘स्पेशलिटी स्टील’ के घरेलू इस्पात निर्माण को बढ़ावा देने के लिए, उत्पादन से जुड़ा प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना एक प्रमुख पहल है और इसका उद्देश्य पूंजी निवेश को आकर्षित करना और आयात को कम करना है।

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प्रतिभागी कंपनियों ने 27,106 करोड़ रुपये के निवेश, 14,760 लोगों के प्रत्यक्ष रोजगार और योजना में चिन्हित 7.90 मिलियन टन ‘स्पेशलिटी स्टील’ के अनुमानित उत्पादन के लिए प्रतिबद्धता जताई है। अभी अक्टूबर 2024 तक, कंपनियों ने 17,581 करोड़ रुपये का निवेश किया है और 8,660 से अधिक रोजगार सृजित किए हैं।

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क्षमता विस्तार: इस्पात एक विनियमन-मुक्त क्षेत्र है। महाराष्ट्र सहित देश के सभी राज्यों में इस्पात क्षेत्र के विकास के लिए सरकार, अनुकूल नीतिगत माहौल बनाकर सुविधा पहुंचाने वाली इकाई के रूप में कार्य करती है। हालांकि भारत, अधिकांश ग्रेड के इस्पात में आत्मनिर्भर है इसलिए देश के इस्पात उत्पादन में आयात का प्रतिशत बहुत कम है।

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