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CITU ठेका यूनियन के योगेश सोनी छत्तीसगढ़ राज्य समिति से निष्कासित, ढाई लाख का हिसाब न देने का आरोप

  • हिंदुस्तान स्टील एम्पलाइज यूनियन सीटू ने 2012 में नागदा सम्मेलन के निर्णय पर अमल करते हुए हिट्सु का गठन किया।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सीटू (CITU) की छत्तीसगढ़ पदाधिकारी समिति की बैठक 2 जनवरी 2025 को छत्तीसगढ़ सीटू के अध्यक्ष एसएन बेनर्जी की अध्यक्षता में रायपुर स्थित सीटू राज्य कार्यालय में संपन्न हुई। सीटू ठेका यूनियन को लेकर चल रहे विवाद पर बड़ा फैसला लिया गया है।

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हिंदुस्तान इस्पात ठेका श्रमिक यूनियन (हिट्सू) (Hindustan Steel Contract Workers Union) एवं छत्तीसगढ़ सीटू के सचिव योगेश सोनी को, लगातार तीन वर्षों से मजदूरों से प्राप्त सदस्यता शुल्क का कोई हिसाब नहीं देने, सदस्यता के एवज में सीटू केन्द्र को देय संबद्धता शुल्क राज्य केंद्र में जमा नहीं करने, पंजीयक, व्यवसायिक संघ के पास वर्ष 2022 एवं वर्ष 2023 का वार्षिक विवरण जमा नहीं करने एवं अन्य यूनियन विरोधी गतिविधि के लिए तत्काल प्रभाव से सीटू के सभी पदों से तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया गया।

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निष्कासन पत्र पर सीटू के राज्य महासचिव एमके नंदी ने हस्ताक्षर किया। इस पत्र को योगेश सोनी के साथ-साथ सीटू केंद्रीय समिति को भी भेजा गया।

2 साल से नहीं दिए राज्य एवं केंद्र को संबद्धता शुल्क

सेंटर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियन छत्तीसगढ़ राज्य समिति (Centre of Indian Trade Union Chhattisgarh State Committee) के अध्यक्ष एसएन बैनर्जी और महासचिव एमके नंदी की अर से बयान जारी किया गया है। सीटू राज्य समिति द्वारा जारी किए गए बयान में बताया गया कि हिट्सू ने वर्ष 2022 एवं 2023 के सदस्यता का संबद्धता शुल्क सीटू राज्य समिति रायपुर एवं स्टील वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया को जमा नहीं किया गया है।

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हिट्सु ने वर्ष 2022 एवं 2023 के सदस्यता एवं आय व्यय पर तैयार होने वाले वार्षिक विवरण भी राज्य केंद्र में जमा नहीं किया है जो नियम विरुद्ध है।

दो वर्षों से वार्षिक विवरण जमा नहीं करने के कारण हिट्सु के सदस्यता के लगातार बढ़ने के दावा की पुष्टि भी नहीं हो सकती है।

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अपनी गलती छुपाने के लिए रचा गया है पूरा खेल

यूनियन का कहना है कि कोई भी पंजीकृत यूनियन जब ट्रेड यूनियन का राष्ट्रीय केन्द्र सीटू से संबद्धता लेता है तो उसे हर वर्ष निर्धारित संबद्धता शुल्क भुगतान करना होता है। इसके साथ ही उस संगठन को सीटू के संविधान एवं नियमों का अनुपालन करना होता है।

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एक निश्चित समय सीमा के भीतर संबद्धता शुल्क ना देने अथवा सीटू के संविधान एवं नियमों के उल्लंघन करने पर सीटू द्वारा ही उस संगठन को सुधारने की दिशा में आवश्यक कार्यवाही शुरू की जाती है। बावजूद इसके आवश्यक सुधार न आने अथवा नियमानुसार समय पर संबद्धता शुल्क न देने पर संबद्धता खत्म कर दी जाती है। यही हिट्सु के साथ भी हो रहा है जिससे बचने एवं अपना चेहरा बचाने के लिए यह सारा खेल रचा गया।

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7 माह पहले सीटू राज्य समिति शुरू किया था हिट्सु की संबद्धता को लेकर प्रक्रिया

आरोप है कि 2 साल तक संबद्धता शुल्क ना देने एवं स्वच्छंद तरीके से काम करने तथा व्हाट्सएप पर संगठन को लेकर अनर्गल बयान बाजी करने की घटना सीटू राज्य समिति के संज्ञान मे आया था, उसके बाद लगभग 7 माह पहले सीटू के राष्ट्रीय महासचिव तपन सेन एवं स्टील वर्कर्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव ललित मोहन मिश्र की उपस्थिति में सीटू की राज्य समिति बैठक में हिट्सु पर विस्तार से चर्चा हुई एवं सुधार की सारी गुंजाइश खत्म होता देख राज्य समिति बैठक में हिट्सु के संबद्धता पर उचित निर्णय लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी।

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हिट्सू का गठन सीटू ने करवाया था, योगेश सोनी ने नहीं

सीटू राज्य समिति ने बताया कि हिट्सू का गठन सीटू राज्य सम्मेलन के निर्णय के तहत हुआ है। भिलाई इस्पात संयंत्र में ठेका यूनियन को अलग से गठन करने संबंधी निर्णय वर्ष 1998 में मध्य प्रदेश के नागदा में आयोजित सीटू के राज्य सम्मेलन में हुआ था।

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छत्तीसगढ़ के गठन होने के बाद कई बार इस दिशा में प्रयास किया गया। अंततः हिंदुस्तान स्टील एम्पलाइज यूनियन सीटू ने 2012 में नागदा सम्मेलन के निर्णय पर अमल करते हुए हिट्सु का गठन किया। इस संगठन के निर्माण के समय योगेश सोनी ना तो हिट्सु के निर्माण में शामिल थे ना ही हिंदुस्तान स्टील एम्पलाईज़ यूनियन (सीटू) द्वारा हिट्सू के निर्माण के लिए किए गए प्रयासों में उनकी कोई भूमिका थी। इसीलिए इस संगठन पर अधिकार जमाने एवं अपनी निजी संपत्ति समझने की भूल नहीं करना चाहिए।

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जानिए योगेश सोनी का पक्ष

सीटू ठेका यूनियन का समर्थन न करने का आरोप लगाने वाले योगेश सोनी का कहना है कि राज्य समिति अपनी गलतियों को छुपा रहा है। मेरे द्वारा जो आरोप लगाए गए थे उसका स्पष्टीकरण नहीं दिया गया। कोई जवाब नहीं था। त्याग पत्र सौंपने के बाद निष्कासित करने का फैसला गलत है। सीटू राज्य की गलती को छुपाने के लिए ऐसा किया गया है।

पहचान संघर्ष से थी और रहेगी

 योगेश सोनी ने कहा-एफिलेशन वापस करने के बाद मैं व शांतनु मरकाम मेल व व्हाट्सएप के माध्यम से 1 जनवरी को ही त्याग पत्र सौंप चुके थे। सीटू अपनी छवि बचाने निष्कासन का खेल खेल रही, जबकी हमने पूर्व में ही एफिलेसन वापस व त्याग पत्र दें चुके थे। पहचान संघर्ष से थी और रहेगी।

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