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कविता में मानवीय संवेदना और साामाजिक सरोकार आवश्यक : शशांक

आज के समय में कविता पर परिचर्चा 

 
       बिलासपुर। बिलासपुर में कल से चल रहे दो दिवसीय साहित्यिक आयोजन के दूसरे दिन आज के समय में कविता विषय पर परिचर्चा आयोजित की गयी।  परिचर्चा में आज के समय में कविता की पड़ताल करते हुए पहले वक्ता कैलाश मण्डलेकर ने अपने वेवाक टिप्पणी दी।  उन्होंने कहा कि कविता जीवन से सीधे जुड़ने का नाम है।  बात को आगे बढ़ाते हुए सुत्र पत्रिका के संपादक विजय सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ के संदर्भ में आज के समय की कविता सही मायने में कविता है और त्रिलोक महावर की कविताएॅ इस बात का पुख्ता प्रमाण है।  नथमल शर्मा ने कहा कि कविता को समय के अनुकूल होना चाहिए जो सीधी सीधी बात करे।  जबकि रमेश अनुपम ने अपने संबोधन में कहा कि कविता में केवल शब्द ही शब्द नहीं होने चाहिए, कविता की बनावट को लेकर सजगता जरूरी है।  पहले पहल के संपादक महेन्द्र गगन ने अपनी बात रखते हुए कहा कि नैतिक एवं बौद्धिक जीवन्तता का उदाहरण कविता है।   साम्य पत्रिका के संपादक विजय गुप्त ने हस्तक्षेप करते हुए कविता पर अपनी राय दी कि कविता बचेगी तो मनुष्यता बची रहेगी।  त्रिलोक महावर जिनका कविता संग्रह शब्दों से परे का लोकार्पण कल हुंआ है ने कहा कि कविता जीवन की प्रयोगशाला की परखनली में परखी जाती है जैसे शरीर में रगों में खुन का संचार है वैसे ही कविता समाज और जीवन में महत्व रखती है।  कवि रामकुमार तिवारी ने कविता पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि कविता के क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा काम करने की आवश्यकता है।  संजीव बख्शी ने कहा कि आज के युग में कविता के बारे में पाठक को तय करना होगा कि वे किसे पढे और किसे न पढे।  
       वरिष्ठ साहित्यकार सतीश जायसवाल ने श्रीकांत वर्मा को याद करते हुए कहा कि हमारे आस-पास अच्छी कविताओं का समावेश होना चाहिए।  त्रिलोक महावर सरल शब्दों में बड़ी बात कह जाते हैं।  भोपाल के उमेश नेमा ने कविता में संवेदनशीलता की जरूरत बतायी।  जबकि सुधीर सक्सेना ने कहा कि आज मनुष्य के लिए कविता की जरूरत बनी रहेगी।  एक अच्छा पाठक कविता की बहुत अच्छी पहचान कर ही लेता है।  अध्यक्ष्ज्ञीय आसंदी से प्रसिद्ध कथाकार शशांक ने विचार व्यक्त किया कि हमारे जीवन की कविता वही होगी जो हमारे अंदर समाहित होगी।  आज की कविता कथ्य शिल्प के साथ मानवीय संवेदना को समाज से जोड़ने का आख्यान रचती है।  परिचर्चा का संचालन प्रसिद्ध कथाकार एवं उपान्यासकार  तेजिन्दर द्वारा किया गया जिन्होंने आज के समय पर कविता पर अपनी सटीक टिप्पणी भी प्रस्तुत की।  पहले पहल प्रकाशन भोपाल एवं क्थादेश दिल्ली द्वारा आयोजित आयोजन के दूसरे दिन भालचंद जोशी, हरिनारायण सहित देश भर के जाने-माने साहित्यकारों के अलावा छत्तीसगढ़ अॅंचल के बिलासपुर, जगदलपुर, रायपुर, कोरबा, मुंगेली, जांजगीर, अंबिकापुर के रचनाकारों ने अपनी सक्रिय भागीदारी निभायी। इस आयोजन में दिल्ली, भोपाल, खरगौन, खण्डवा के वरिष्ठ साहित्यकार विशेष रूप से मौजूद रहे।

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