गुरुवार से जिला अस्पताल में आक्सीजन सिलेंडर युक्त 50 बेड की मिलेगी सुविधा
इनमें कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट आए मरीज अथवा संदिग्ध मरीजों को हो सकेगा इलाज
अब पाजिटिव चिन्हांकित होते ही फीवर क्लीनिक में दिये जाएंगे मेडिकल किट, कलेक्टर ने जिला अस्पताल के फीवर क्लीनिक के साथ ही पोटिया और आदर्श नगर के फीवर क्लीनिक का भी किया निरीक्षण
जिला अस्पताल में सोशल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था हुई मुकम्मल, तीन काउंटर आरंभ, एक काउंटर में बुजुर्गों, गंभीर बीमार के रजिस्ट्रेशन की सुविधा ताकि उन्हें दिक्कत हो कम
दुर्ग। गुरुवार से जिला अस्पताल में आक्सीजन सिलेंडर युक्त 50 बेड की सुविधा मरीजों के लिए आरंभ हो जाएगी। यह सुविधा आक्सीजन की जरूरत वाले कोविड निगेटिव रिपोर्ट वाले मरीज अथवा संदिग्ध मरीजों के लिए होगी। कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने यह निर्देश जिला अस्पताल के निरीक्षण के दौरान दिये। इसके लिए मेल और फीमेल वार्ड तैयार किये जा रहे हैं। कलेक्टर ने आज जिला अस्पताल परिसर में फीवर क्लीनिक का पुनः निरीक्षण किया। यहां सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखने के लिए पूरा इंतजाम कर दिया गया है। वरिष्ठ नागरिकों और गंभीर रूप से बीमार लोगों के लिए पृथक काउंटर बनाये गए हैं। फीवर क्लीनिक में बताया गया कि अब तक छह नागरिकों की रिपोर्ट पाजिटिव आई है जिन्हें कंचादुर स्थित कोविड हास्पिटल भेजने की कार्रवाई की जा रही है। कलेक्टर ने बताया कि जिन लोग होम आइसोलेशन चाहते हैं उन्हें अंडरटेकिंग और चिकित्सक की अनुमति के पश्चात इसके नियम विस्तार से बताये जाएं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि होम आइसोलेशन के वक्त मेडिकल किट के साथ हिदायतों वाला पैंफलेट भी दिया जाए, साथ ही एक फ्लैक्स भी लगा दिया जाए ताकि लोग विस्तार से इस बारे में जानकारी ले सकें। उन्होंने कहा कि पूरी प्रक्रिया में न्यूनतम समय लगना चाहिए। कोशिश हो कि ज्यादा से ज्यादा लोगों के एक ही दिन में सैंपल लिये जा सकें।
अब सभी फीवर क्लीनिक में सैंपल पाजिटिव आते ही दिये जाएंगे मेडिकल किट- सभी फीवर क्लीनिक में सैंपल पाजिटिव आते ही मेडिकल किट भी मरीजों को दे दिए जाएंगे। साथ ही हिदायतें भी बता दी जाएंगी। इस संबंध में कलेक्टर ने विस्तार से निर्देश बैठक में दिये। उन्होंने कहा कि इसके बाद आइसोलेशन कंट्रोल रूम के माध्यम से लगातार मरीजों के स्वास्थ्य की मानिटरिंग की जाएगी। इमरजेंसी कंट्रोल रूम भी पहुंचे, पूछा आज किस तरह के फोन आए- कलेक्टर ने सीएमएचओ आफिस के इमरजेंसी कंट्रोल रूम का निरीक्षण भी किया। वहां उन्होंने पूछा कि किस तरह के फोन आए और उन्हें किस तरह से संतुष्ट किया गया। यहां उपलब्ध स्टाफ ने बताया कि यहां आने वाले फीडबैक को तुरंत उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जाता है। पोटिया और आदर्श नगर के फीवर क्लीनिक भी पहुंचे- सभी फीवर क्लानिक में टेस्टिंग सही तरह से हो रही है या नहीं। इस बात के निरीक्षण के लिए कलेक्टर आदर्श नगर और पोटिया पहुंचे। वहां उन्होंने टेस्टिंग की जानकारी ली। वहां मौजूद स्टाफ ने बताया कि साढ़े ग्यारह बजे तक 20 सैंपल लिये गये हैं। दिन भर में पचास सैंपल लिये जा रहे हैं। कलेक्टर ने इसे अपर्याप्त बताया और कहा कि आप 80 सैंपल रोज करने का लक्ष्य लेकर कार्य कीजिए। यहां पर टेस्ट कराने आए बुजुर्गों से कलेक्टर ने बातचीत की। बुजुर्गों ने बताया कि हमें लक्षण नजर आ रहे थे, इसलिए हमने बिना समय गंवाये यहां आने का निश्चय किया। अब थोड़ी देर में हमारी टेस्टिंग हो जाएगी। कलेक्टर ने उनकी प्रशंसा करते हुए कहा कि यहां पर आप जो दो घंटे देंगे, वो आपकी अमूल्य जिंदगी बचा लेगा। यदि कोविड निगेटिव आयेगा तो आप संतुष्ट होकर घर जाएंगे। पाजिटिव आने की स्थिति में भी जल्द दवा शुरू हो जाने से कुछ ही दिन में आपको आराम आ जाएगा। आपका यह सकारात्मक निश्चय आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। कलेक्टर ने निगम कमिश्नर श्री इंद्रजीत बर्मन को सभी फीवर क्लीनिक की नियमित मानिटरिंग के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित कर लें कि फीवर क्लीनिक में काफी कम समय में टेस्टिंग हो जाए। लोगों को न्यूनतम समय देना पड़े।
टेस्ट फिफ्टी प्लस, कोरोना के लक्षण वाले इस वर्ग के नागरिकों का करें चिन्हांकन
कलेक्टर ने बैठक में दिए निर्देश
दुर्ग। कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में अधिकारियों की विशेष बैठक ली। बैठक में उन्होंने कहा कि आयु बढ़ने से सामान्य तौर पर प्रतिरोधक क्षमता घटती है। इसके साथ ही गंभीर बीमारियां हों तो कोविड जैसे रोग में विषम स्थिति पैदा हो जाती है। यदि आरंभ से पचास वर्ष से अधिक आयु वाले कोरोना लक्षण वाले नागरिकों का चिन्हांकन कर लिया जाए तो तुरंत टेस्ट कर इलाज आरंभ किया जा सकता है जिससे भविष्य में लक्षण और बढ़ने की आशंका न्यूनतम रह जाएगी और आसानी से जान बचाई जा सकेगी। कलेक्टर ने कहा कि इस संबंध में व्यापक प्रचार अभियान चलाया जाए, जनप्रतिनिधियों की भी मदद ली जाए। सर्वे टीम इस संबंध में विशेष रूप से भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि कभी कभी किसी बुजुर्ग नागरिक के मन में यह शंका हो सकती है कि वे तो घर से निकले ही नहीं, फिर उन्हें कोविड नहीं होगा। उनके जो लक्षण हैं वो सामान्य बुखार के हैं। ऐसा नहीं है यह कोविड के लक्षण भी हो सकते हैं क्योंकि कभी कभी घर के दूसरे सदस्य बिना लक्षणों वाले होते हैं और वे वाहक बन जाते हैं। इसलिए सर्दी बुखार, खराश या कोविड के अन्य लक्षण नजर आ रहें हों तो जरूर टेस्ट कराएं। बैठक में कलेक्टर ने कहा कि टेस्टिंग के लिए लगी टीम की संभावनाओं का पूरी तरह से उपयोग करना है। यह टीमें जितनी सक्रियता से कार्य करेंगी, तेजी से कार्य करेंगी, टेस्टिंग की रफ्तार उतनी ही तेजी से बढ़ेगी। इस प्रक्रिया में समय घटने से लोग भी अधिकाधिक संख्या में टेस्टिंग के लिए उत्साहित होंगे। कलेक्टर ने कहा कि मरीज के पाजिटिव आते ही उसे मेडिकल किट उपलब्ध करा दिया जाए। डाक्टर की अनुशंसा और मरीज की अंडरटेकिंग प्राप्त होते ही मरीजों को मेडिकल किट उपलब्ध करा दी जाए। कलेक्टर ने कहा कि रिस्पांस टाइम बेहतरीन होना चाहिए। कोरोना से जुड़े मामलों में हम जितनी तेजी से पहल करते हैं स्थिति ठीक करने की गुंजाइश उतनी ही बेहतर हो जाती है। कलेक्टर ने कोविड केयर सेंटर की स्थिति की मानिटरिंग भी की। उन्होंने कहा कि कंचादुर एवं शंकराचार्य कोविड केयर सेंटर दोनों ही जगहों पर अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। इसके लिए भोजन की और साफसफाई की व्यवस्था की नियमित मानिटरिंग करें। काल सेंटर से जो फीडबैक आ रहे हैं उनके मुताबिक भी चीजों को बेहतर करने की कोशिश करें। कोविड कंट्रोल सेंटर में आने वाले फोन काल पर तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि आइसोलेशन में रह रहे सभी लोगों के घरों में स्टिकर अनिवार्य रूप से जरूरी हैं। इसके साथ यह भी मानिटरिंग जरूरी हैं कि वे घर से नहीं निकले। उन्हें आवश्यक मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराएं। ग्रासरी आदि की जरूरतों के लिए पड़ोसियों से भी आग्रह करें कि उनकी मदद करें ताकि संक्रमण न फैले।
उत्ता धुर्रा जांच कराव, पाजिटिव आवय तो धरा रपटा अस्पताल जावव
सोशल मीडिया संगवारी मन ला जय जोहार, सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर के छत्तीसगढ़ी पोस्ट फैला रहे कमाल की जागरूकता
एनीमेशन, संदेश और कई प्रभावी माध्यमों से सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर नेक काम को आगे बढ़ाने में लगे
दुर्ग। कोरोना संक्रमण को रोकने का अपनी बोली छत्तीसगढ़ी में सुघ्घर संदेश आपने इन दिनों जरूर सुना होगा। संगी कोरोना के लक्षण होही त सियानी झन बघारहु, उत्ता धुर्रा तिर के स्वास्थ्य केंद्र म जा के कोरोना के जांच कराहु। कोरोना जागरूकता के यह संदेश छत्तीसगढ़ी भाषा में बहुत मधुर लग रहे हैं और लोगों के मनोरंजन के साथ ही गहरी सीख भी छोड़ रहे हैं। छत्तीसगढ़ी में उत्ता धुर्रा बहुत जल्दी किये जाने वाले काम के लिए उपयोग होता है। कोरोना टेस्ट का मामला ऐसा ही है इसमें उत्ता धुर्रा जांच करा लिए तो जल्दी से दवा खाना शुरू करके बीमारी से पूरी तरह मुक्त हो जाएंगे। सामान्य लक्षण हैं तो घर में होम आइसोलेशन के लिए आग्रह कर सकते हैं। थोड़ी समस्या महसूस कर रहे हैं तो धरा रपटा अस्पताल पहुंच जाइये, आपके लिए गाड़ी टेस्टिंग सेंटर में ही पहुंच जाएगी। होम आइसोलेशन में हैं तो मेडिकल किट मिल जाएगी। उल्लेखनीय है कि कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने बीते दिनों सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर से इस संबंध में चर्चा की थी और इसके बहुत सुखद नतीजे सामने आये हैं। डाॅ. भुरे ने मीटिंग में छत्तीसगढ़ी में भी प्रचार सामग्री तैयार करने का आग्रह इंफ्लूएंसर से किया था। इसका अच्छा परिणाम सामने आ रहा है। प्रचार सामग्री बहुत अपीलिंग हैं जैसे बार-बार हाथों को सैनेटाइज करने का आग्रह इस रूप में किया गया है कि घेरी बेरी सावधानी नइ रखबो तव सब्बो झन बर बड़ मुसीबत हो जहि। डिजिटल वर्ल्ड में छत्तीसगढ़ी के लिए बड़ा काम करने वाले भाषाविद श्री संजीव तिवारी भी इस अभियान का मार्गदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ी बहुत समृद्ध है। इसका शब्द भंडार बहुत विस्तृत है और बिल्कुल सटीक रूप से बातें अभिव्यक्त कर सकने में सक्षम है। सोशल मीडिया में कोरोना संक्रमण को लेकर जागरूकता अभियान में इसका इस्तेमाल होना बहुत शुभ है। अच्छी बात यह है कि छोटे-छोटे एनीमेशन वीडियो के माध्यम से छत्तीसगढ़ी भाषा में कोरोना संक्रमण के प्रति जागरूकता संदेश दिया जा रहा है। यह काफी अपीलिंग हैं और लोगों को काफी भा रहा है। डिप्टी कलेक्टर सुश्री दिव्या वैष्णव ने बताया कि इसके लिए युवाओं की टीम बहुत मेहनत कर रही है। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए प्रशासनिक प्रयासों का सोशल मीडिया के माध्यम से ये युवा बढ़ा रहे हैं इनका यह कार्य प्रशंसनीय है। उल्लेखनीय है कि सोशल मीडिया के माध्यम से भी फिफ्टी प्लस टेस्ट अभियान को भी इंफ्लूएंसर बढ़ावा दे रहे हैं। इससे प्रशासन द्वारा चलाये जा रहे अभियान को काफी प्रचार-प्रसार मिल रहा है।
आंगनबाड़ी केंद्रों में गर्म भोजन आरंभ
बच्चों को केंद्र में भेजना अभिभावकों की स्वेच्छा पर, जो आंगनबाड़ी केंद्र नहीं आएंगे ऐसे बच्चों के घर भेजा जाएगा रेडी-टू-ईट फूड
दुर्ग। जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों में आज से 3 से 6 साल के बच्चों और गर्भवती माताओं के लिए गर्म भोजन की शुरूआत हुई। यह व्यवस्था उन शिशुओं के लिए की गई है जिनके अभिभावक उन्हें स्वेच्छा से आंगनबाड़ी भेज रहे हैं। जो अभिभावक अपने बच्चों को आंगनबाड़ी भेजने को उत्सुक नहीं हैं। उन्हें पहले की तरह ही रेडी-टू-ईट फूड का वितरण किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि सुपोषण अभियान के लक्ष्यों को प्राप्त करने शासन द्वारा इस संबंध में निर्देश जारी किये गए हैं। इस संबंध में कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने जिले की सभी आंगनबाड़ियों में मुकम्मल व्यवस्था के निर्देश जिला कार्यक्रम अधिकारी को दिये थे। इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री विपिन जैन ने बताया कि आज से आंगनबाड़ी केंद्रों में गर्म भोजन निर्माण का कार्य आरंभ कर दिया गया। बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्र भेजे या नहीं, यह निर्णय पूरी तरह अभिभावकों की स्वेच्छा पर रखा गया। श्री जैन ने बताया कि व्यवस्था की मानिटरिंग के लिए आज सभी परियोजना अधिकारियों को विभिन्न केंद्रों के निरीक्षण के निर्देश दिये गए थे। उन्होंने बताया कि वे दुर्ग ग्रामीण परियोजना के आंगनबाड़ी केंद्र तिरगा पहुंचे। यहां उन्होंने पूरी व्यवस्था का निरीक्षण किया। पूर्व में भी आंगनबाड़ी को सैनिटाइज किया गया था। आज भी यहां साफसफाई की गई। बच्चों का हाथ साबुन में धुलाया गया। फिर गर्म भोजन कराया गया। श्री जैन ने बताया कि सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा गया। जैसे तिरगा केंद्र में 28 बच्चे हैं तो तीन बैच बनाई गई और आधे घंटे का गेप दिया गया। आधे घंटे के अंतर में बच्चों ने खाना खाया। एक बैच फ्री हो गया तो दूसरे बैच को बिठा दिया गया। इससे सोशल डिस्टेंसिंग को मेंटेन करने में सहयोग मिला। इसी प्रकार सभी केंद्रों में किया गया। शाम तक सभी केंद्रों से जानकारी ली गई। सभी जगहों पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने बच्चों और गर्भवती माताओं को उत्साह से भोजन कराया। साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजेशन का भी पूरा ध्यान रखा। सभी जगहों पर सुपरवाइजर एवं परियोजना अधिकारियों ने इसकी मानिटरिंग भी की। श्री जैन ने बताया कि बच्चों को भेजना पूरी तरह से अभिभावकों की स्वेच्छा पर था। ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा रुचि दिखाई। कोरोना संक्रमण की वजह से शहरी क्षेत्रों में अभिभावकों ने कम रुचि दिखाई। उन्होंने बताया कि तिरगा जहां वे निरीक्षण के लिए पहुंचे। वहां सरपंच ने कहा कि सैनिटाइजेशन किया गया है और बच्चों की सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जा रहा है और शासन की इतनी अच्छी योजना सुपोषण को लेकर है तो गांव के मुखिया होने के नाते पहल मेरी ओर से भी होनी चाहिए। मेरी नातिन भी केंद्र में जाएगी। उल्लेखनीय है कि लाकडाउन के मौके पर भी जिले में सुपोषण अभियान निरंतर जारी रहा और लगभग 90 हजार लोगों को रेडी टू ईट फूड पहुंचाया गया। श्री जैन ने बताया कि अब भी जो अभिभावक अपने बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्र नहीं भेजेंगे, उनके लिए रेडी-टू-ईट फूड भेजा जाएगा।