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CITU बोला-इतना सन्नाटा क्यों है भाई, खींचतान छोड़िए, एरियर्स के लिए मिलकर लड़िए…

सीटू का मानना है कि अभी भी मौका है कि एरियर्स के लिए आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए सभी यूनियन खींचतान छोड़कर एक मंच पर आ जाएं।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल कर्मचारियों के मुद्दे पर प्रबंधन से लगातार टकराव की स्थिति बनी हुई है। अब एनजेसीएस यूनियनों में ही यही हालात देखे जा रहे हैं। इंटक और एचएमएस के जुबानी हमले पर सीटू ने एक बार फिर पलटवार किया है।

26 नवंबर को दिल्ली में मुख्य श्रम आयुक्त केंद्रीय के स्तर पर हुए बैठक में सीटू ने हस्ताक्षर करने से मना क्या कर दिया। कुछ यूनियन द्वारा बैठक के दिन ही सीटू पर बयान बाजी के माध्यम से हमले कर दिए। सीटू ने घटनाक्रम को लेकर अपनी बात को जैसे ही कर्मियों के बीच में रखा। वैसे ही सीटू पर फिर से लगातार हमले शुरू कर दिए। सीटू पर हो रहे हमले के बीच लगे विराम पर चुटकी लेते हुए सीटू ने कहा कि इतना सन्नाटा क्यों है भाई?

मजदूर विरोधी किसी भी शर्त पर हस्ताक्षर नहीं करेगा सीटू

सीटू महासचिव जगन्नाथ प्रसाद त्रिवेदी ने कहा-सीटू को प्रबंधन, मुख्य श्रम आयुक्त (केंद्रीय) अथवा सरकार के स्तर पर होने वाले बैठकों में भागीदारी करने का अवसर किसी के एहसान के कारण नहीं, बल्कि कर्मियों के बीच सीटू के काम एवं उस काम के चलते कर्मियों के बीच सीटू की पकड़ तथा कर्मियों के द्वारा सीटू को मिलने वाले ताकत के कारण मिलता है।

इसीलिए सीटू जब भी इन बैठकों में शामिल होता है, उन बैठकों में कर्मियों से जुड़े हर मुद्दे पर ना केवल गहराई से विचार करता है। बैठकों में आने वाले कार्मिक विरोधी बातों तथा गलत शर्तों का खुलकर विरोध करता है। बल्कि विरोध के बावजूद यदि बैठकों में उन शर्तों को ना हटने पर हस्ताक्षर करने से भी मना कर देता है, जिसकी सच्चाई कर्मियों को भली भांति मालूम है।

पिछले दिनों 26 नवंबर की बैठक में जब प्रबंधन गोल-गोल करने लगा एवं 24 जनवरी 2024 में हुई बैठक की ही तरह गुमराह करने का प्रयास किया। तब सीटू ने बैठक में मजबूती से अपनी बातों को रखा एवं उन बातों को मिनट्स में शामिल ना करने पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया।

यह पब्लिक है सब जानती है

सीटू के सहायक महासचिव टी. जोगा राव ने कहा कि 21 एवं 22 अक्टूबर 2021 को हुई बैठक में आनन फानन में हस्ताक्षर ना करके एक मीटिंग रुक जाती तो उसी समय सारे विषय सेटल हो जाते, क्योंकि अधिकारियों का भी वेतन समझौता लंबित था।

और प्रबंधन हर हाल में अधिकारियों का वेतन समझौता करना चाहता था। इसलिए यूनियनों पर दबाव बनाया और यूनियन नेताओं ने बहुमत बनाकर साइन कर दिया। यदि उस समय दबाव का सही इस्तेमाल करते तो कर्मियों को इतना लम्बा इंतजार नहीं करना पड़ता। आज कर्मियों के साथ इतना बड़ा धोखा और नुकसान नहीं होता।

कुछ यूनियन प्रबंधन का दबाव बर्दाश्त नहीं पाए और पेन खोल कर साइन कर दिया। उस दिन कि गड़बड़ी को कर्मी आज तक भुगत रहे हैं। इसी तरह की परिस्थितियां बहुमत के आधार पर हुए सभी समझौता में हुआ।

प्रबंधन अपने मकसद में कामयाब हो गया एवं यूनियन को अभी तक कर्मियों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है, जिससे सबक लेने के बजाय सीटू पर ही अनर्गल बयान बाजी शुरू कर दिया गया है। सीटू एक बात अच्छे से जानता है कि यह पब्लिक है यह सब जानती है…।

यदि एरियर्स के लिए नहीं लड़े तो अगले वेतन समझौते में भी भुगतेंगे खामियाजा

नेताओं ने कहा-सीटू 2021 के पहले से ही बता रहा था कि प्रबंधन अफॉर्डेबिलिटी क्लाज को लेकर मौन है, जबकि सतीश चंद्र कमेटी के अनुशंसा को ध्यान में रखते हुए 22 नवंबर 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अध्यक्षता में कर्मियों के वेतन समझौता के लिए जो गाइडलाइन जारी किया गया था, उसमें अफॉर्डेबिलिटी एवं फाइनेंशियल सस्टेनेबिलिटी का क्लाज है, जिसका हवाला देकर प्रबंधन ना केवल बैठक बुलाने में देरी किया, बल्कि अब खुलकर इस बात को कह रहा है कि सरकार एरियर्स देने के लिए अनुशंसा नहीं किया है।

सीटू का मानना है कि अभी भी मौका है कि एरियर्स के लिए आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए सभी यूनियन खींचतान छोड़कर एक मंच पर आ जाएं। अन्यथा प्रबंधन अपने कथन अनुसार इस बार का एरियर्स तो नहीं देगा, बल्कि आने वाले दिनों में भी इस बार की एरियर्स को ना देने की बात को संज्ञान में रखकर एरियर्स नहीं देने की परंपरा शुरू कर देगा, जो कि किसी भी यूनियन के चुनाव जीतने अथवा हारने वाली बात से बहुत ऊपर होगी।

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