R.O. No. :
विविध ख़बरें

कोरोना संक्रमण को थामने में कोरोना वारियर्स का अहम योगदान :

गृह मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू ने किया कोरोना वारियर्स का सम्मान

गोंडवाना भवन में आयोजित हुआ कार्यक्रम

       दुर्ग। कोरोना के गंभीर खतरे को देखते हुए भी अपनी जान जोखिम में रखकर कोरोना वारियर्स ने जिस प्रकार लोगों की सेवा की और जिले में कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को नियंत्रित किया, इसके लिए वे प्रशंसा के पात्र हैं। यह बात गृह एवं पीडब्ल्यूडी मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू ने गोंडवाना भवन में आयोजित कार्यक्रम के अवसर पर कही। गृह मंत्री ने कहा कि कोरोना वारियर्स ने कोविड संक्रमण के पीक के दौर में लोगों की सहायता की। रात-दिन मेहनत की। दुर्ग जिला औद्योगिक जिला है और यहाँ दूसरे राज्यों से मूवमेंट काफी होता है। इसके चलते यहाँ कोविड संक्रमण तेजी से फैलने की आशंका काफी थी। कोरोना वारियर्स ने इस विपदा को रोकने के लिए अहम कार्य किया। गृह मंत्री ने कहा कि सामाजिक संगठनों की भी इसमें अच्छी भागीदारी रही। उन्होंने लाकडाउन के वक्त लोगों की काफी मदद की। लाकडाउन के वक्त फंसे हुए लोगों को कोरोना वारियर्स से बहुत सहायता मिली। कोरोना वारियर्स द्वारा इलाज की त्वरित उपलब्धता के चलते बहुत से मरीजों की जान बच सकी। कार्यक्रम ओम सत्यम शिक्षण एवं जनविकास समिति की ओर से आयोजित किया गया था। अध्यक्ष श्री सीताराम ठाकुर एवं सचिव श्री दिलीप ठाकुर ने इस अवसर पर गृह मंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया। इस मौके पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती शालिनी यादव, जनपद अध्यक्ष दुर्ग श्री देवेंद्र देशमुख, जीवनदीप समिति के सदस्य श्री दुष्यंत देवांगन एवं अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।

इनका हुआ सम्मान-

       इस मौके पर स्वास्थ्य प्रशासन से डाॅ. बीआर कोसरिया, नेत्र विशेषज्ञ जिला चिकित्सालय दुर्ग, डाॅ. एके साहू रेडियोलाजिस्ट, डाॅ. अरुण सिंह सहायक नेत्र अधिकारी, नेत्र विभाग जिला चिकित्सालय, सुश्री हर्षा मिश्रा, स्त्री रोग विशेषज्ञ, वीवाय हास्पिटल, श्री रमण गंधर्व फार्मासिस्ट जिला चिकित्सालय दुर्ग, श्री विकास उपाध्याय फार्मासिस्ट, श्री एल. खान मैट्रन, श्री थोटे ड्राइवर, श्री जयराजन पिल्ले सफाई कर्मी का सम्मान किया गया। पुलिस प्रशासन की ओर से सीएसपी श्री विवेक शुक्ला एवं श्री पन्ना यादव का सम्मान किया गया।

 

कलेक्टर-एसपी ने लगवाया टीका, अब तक साढ़े ग्यारह हजार से अधिक लगवा चुके टीका

कोविड वैक्सिनेशन सेंटर में पहुंच कर सुबह दस बजे लगवाया टीका

       दुर्ग। कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे एवं एसपी श्री प्रशांत ठाकुर ने भी आज कोरोना वैक्सीन जिला अस्पताल के वैक्सीनेशन सेंटर में पहुंचकर लगाई। उनके साथ ही कलेक्ट्रेट के प्रमुख अधिकारियों ने भी आज वैक्सीनेशन सेंटर में पहुँचकर टीका लगवाया। कोविड प्रोटोकाल के मुताबिक सारी औपचारिकताएं पूरी की गईं। हास्पिटल स्टाफ ने प्रोटोकाल के मुताबिक कोविड टीके से संबंधित सारी सूचनाएं अधिकारियों को दी। इसके बाद प्रोटोकाल के मुताबिक यह देखा गया कि टीका लगाने के बाद किसी तरह का साइड इफेक्ट तो नहीं आ रहा। टीका पूरी तरह सुरक्षित रहा। कलेक्टर और एसपी के साथ ही जिला प्रशासन के प्रमुख अधिकारियों अपर कलेक्टर श्री प्रकाश सर्वे, श्री बीबी पंचभाई, सहायक कलेक्टर श्री जितेंद्र यादव, दुर्ग एसडीएम श्री खेमलाल वर्मा, पाटन एसडीएम श्री विनय पोयाम, सीएसपी श्री विवके शुक्ला, डिप्टी कलेक्टर श्री अरुण वर्मा, सुश्री दिव्या वैष्णव सहित अन्य अधिकारियों ने भी टीका लगवाया। अब तक जिले में ग्यारह हजार छह सौ से अधिक टीके लगाये जा चुके हैं। सभी को सुरक्षित टीका लगाया गया है। सीएमएचओ डाॅ. गंभीर सिंह ठाकुर ने बताया कि आज कलेक्टर एवं एसपी सहित प्रमुख अधिकारियों को टीका लगाया गया। टीका लगाने के बाद इन्हें निर्धारित अवधि तक आब्जर्वेशन में रखा गया। इनमें टीके से किसी तरह का साइड इफेक्ट नहीं दिखा। उन्होंने बताया कि सभी केंद्रों में रोज वैक्सीनेशन का कार्य किया जा रहा है। सबसे पहले चरण में स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लगाया गया। इसकी रोज मानिटरिंग हो रही है। प्रोटोकाल के मुताबिक कोल्ड चैन जैसी सारी बातों का पालन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिन्हें टीका लगाया जाना होता है उनके मोबाइल नंबर पर इसकी सूचना आ जाती है। उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल में इसके लिए कोविड वैक्सीनेशन सेंटर बनाया गया है जिसमें प्रोटोकाल को फालो करते हुए टीका लगाया जा रहा है। जिला अस्पताल में सबसे पहला टीका डाॅ. सुगम सावंत को लगाया गया था। डाॅ. सुगम सावंत शंकराचार्य कोविड हास्पिटल की प्रभारी हैं।

 

राष्टीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत विभिन्न पदों हेतु दावा आपत्ति आमंत्रित

 

       दुर्ग। राष्ट्रीय स्वास्थ्य के अंतर्गत विभिन्न संविदा भर्ती के लिए 13 अक्टूबर 2020 को विज्ञापन जारी किया गया था। इन पदों के लिए दावा आपत्ति की सूची प्रकाशित कर दी गई है, जिसका अवलोकन दुर्ग जिले की वेबसाइट ूूूण्कनतहण्हवअण्पद में किया जा सकता है। दावा आपत्ति ई-मेल आईडी कजबकनतह2016/हउंपसण्बवउ पर 12 फरवरी 2021 तक प्रेषित कर सकते हैं।

बाल विवाह एक कुप्रथा है जिसे जड़ से नष्ट किया जाना समाज के कल्याण के लिए अति आवश्यक है

       दुर्ग। श्री राजेश श्रीवास्तव जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के मार्गदर्शन में श्री रामजीवन देवांगन अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं श्री अजीत कुमार राजभानू अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा ग्राम कचांदुर एवं छावनी ग्राम में विशेष जागरूकता अभियान के अंतर्गत बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के बारे में एवं बाल विवाह से हो रही परेशानियों के संबंध में जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का अतिक्रमण करता है। जिससे उन पर हिंसा शोषण तथा यौन शोषण का खतरा बना रहता है। बाल विवाह लड़कियों और लड़कों दोनों पर असर डालता है, लेकिन इसका प्रभाव लड़कियों पर अधिक पड़ता है। बाल विवाह बचपन खत्म कर देता है। बाल विवाह बच्चों की शिक्षा स्वास्थ्य और संरक्षण पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। बाल विवाह का सीधा असर ना केवल लड़कियों पर बल्कि उनके परिवार और सामुदाय पर भी होता है। बाल विवाह अधिनियम के अंतर्गत 21 वर्ष से कम आयु के पुरुष या 18 वर्ष से कम आयु की महिला के विवाह को बाल विवाह की श्रेणी में रखा जाएगा। इस अधिनियम के अंतर्गत बाल विवाह को दंडनीय अपराध माना गया है। साथ ही बाल विवाह करने वाले वयस्क पुरुष या बाल विवाह को संपन्न कराने वालों को इस अधिनियम के तहत 2 वर्ष के कठोर कारावास या एक लाख रुपए का जुर्माना या दोनों सजा से दंडित किया जा सकता है, किंतु किसी महिला को कारावास से दंडित नहीं किया जाएगा। इस अधिनियम के अंतर्गत किए गए अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होंगे। इस अधिनियम के अंतर्गत अवयस्क बालक के विवाह को अमान्य करने का भी प्रावधान है। बाल विवाह समाज की जड़ों तक फैली बुराई लैंगिक असमानता और भेदभाव का ज्वलंत उदाहरण है। यह आर्थिक और सामाजिक ताकतों की परस्पर क्रिया-प्रतिक्रिया का परिणाम है। जिन समुदायों में बाल विवाह की प्रथा प्रचलित है वहां छोटी उम्र में लड़की की शादी करना, उन समुदायों की सामाजिक प्रथा और दृष्टिकोण का हिस्सा है तथा यहां लड़कियों के मानवीय अधिकारों की निम्न दशा दर्शाता है। बाल विवाह से भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और यहां पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों को गरीबी की ओर धकेलता है। जिन लड़कियों और लड़कों की शादी का कम उम्र में कर दी जाती है उनके पास अपने परिवार की गरीबी दूर करने और देश के सामाजिक व आर्थिक विकास में योगदान देने के लिए कौशल, ज्ञान और नौकरियां पाने की क्षमता कम होती है। जल्दी शादी करने से बच्चे भी जल्दी होते हैं और जीवन काल में बच्चों की संख्या भी ज्यादा होती है। जिससे घरेलू खर्च का बोझ बढ़ता है। बाल विवाह बंद करने के लिए बहुत से देशों में पर्याप्त निवेश की कमी का एक कारण यह भी है कि इस कुप्रथा को जड़ से खत्म करने के लिए वित्तीय तौर पर उचित तर्क नहीं दिए गए हैं। लड़कियों को लड़कों की तुलना में बराबर महत्व ना दिए जाने के कारण यह धारणा है कि लड़कियों की शादी करने के अलावा कोई अन्य वैकल्पिक भूमिका नहीं है। उनसे यहां उम्मीद की जाती है कि वे शादी की तैयारी के लिए घर के काम-काज करें और घरेलू जिम्मेदारी उठाएं। बाल विवाह एक कुप्रथा है यहां प्राचीन काल में प्रचलित थी। जब लड़के-लड़कियों का विवाह बहुत ही कम उम्र में कर दिया जाता था। बाल विवाह केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में होते रहे हैं। भारत सरकार ने बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006, 1 नवंबर 2007 को लागू किया।

Related Articles

Back to top button