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‘एक देश, एक चुनाव’ से अलग राह: अली हुसैन सिद्दीकी ने छत्तीसगढ़ की चुनाव प्रक्रिया पर उठाए सवाल

VVPAT की अनुपस्थिति और चुनावी पारदर्शिता पर सवाल

एक EVM पर दो मत: मतदाताओं की जागरूकता पर उठे सवाल

छत्तीसगढ़ चुनाव प्रक्रिया पर सवाल: पारदर्शिता और निष्पक्षता पर चिंता

      दुर्ग। छत्तीसगढ़ में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव और नगरीय निकाय चुनावों को लेकर अली हुसैन सिद्दीकी ने राज्य सरकार और चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ‘एक देश, एक चुनाव’ की विचारधारा के विपरीत राज्य में दोनों चुनाव अलग-अलग तारीखों पर कराए जा रहे हैं, यहां तक कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को तीन चरणों में आयोजित किया जा रहा है। इसके साथ ही चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी कई अनियमितताओं और तकनीकी खामियों पर आशंका जताई है।

मुख्य सवाल और चिंताएं:

  1. EVM में VVPAT का उपयोग क्यों नहीं?
    चुनावी पारदर्शिता का आधार माने जाने वाले VVPAT (वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) का उपयोग नगरीय निकाय चुनावों में नहीं किया जा रहा है। क्या यह चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल नहीं खड़ा करता?
  2. एक ही EVM पर दो मत: क्या मतदाता तैयार हैं?
    खबरों के मुताबिक, मतदाताओं को महापौर/अध्यक्ष और पार्षदों के लिए एक ही EVM पर दो मत डालने होंगे। यह पहली बार हो रहा है और इसके लिए मतदाताओं को प्रशिक्षित या जागरूक नहीं किया गया है। सवाल यह है कि क्या इससे मतदाताओं में भ्रम की स्थिति नहीं पैदा होगी? क्या इसके लिए नई मशीनें तैयार की गई हैं, या पुरानी मशीनों में नई प्रोग्रामिंग की गई है?
  3. मशीनों की प्रोग्रामिंग और मेंटेनेंस का जिम्मा किसके पास?
    मशीनों के मेंटेनेंस और प्रोग्रामिंग के लिए जिम्मेदारी किस एजेंसी को दी गई है? क्या यह एजेंसी केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा अधिकृत है? यदि नहीं, तो इस प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।
  4. चुनाव परिणाम जारी करने का समय: क्या निर्देशों का उल्लंघन?
    केंद्रीय चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार, एक साथ हो रहे चुनावों के परिणाम अंतिम चरण के बाद ही जारी किए जाते हैं ताकि एक चुनाव का प्रभाव दूसरे पर न पड़े। लेकिन छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव के परिणाम बीच में ही घोषित किए जाएंगे। क्या यह चुनाव आयोग के नियमों का उल्लंघन नहीं है?

प्रमुख चिंताएं:

      छत्तीसगढ़ की चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता, निष्पक्षता और मतदाता जागरूकता को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। चुनावी प्रक्रिया में इस तरह की खामियां लोकतंत्र की नींव को कमजोर कर सकती हैं।

सरकार और चुनाव आयोग से अपेक्षा:

      राज्य सरकार और चुनाव आयोग को इन मुद्दों पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए और आवश्यक कदम उठाने चाहिए ताकि मतदाताओं का विश्वास और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की निष्पक्षता बनी रहे।

 

 

 

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