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भाजपा कोरोना पर राजनीति करना बंद करें : त्रिवेदी

मुद्दों अकाल से जूझ रही भाजपा कोरोना को राजनीति का विषय न बनायें
 
       रायपुर। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा कोरोना पर राजनीति करना बंद करें। कोरोना राजनीति का विषय नहीं है। विपदा के समय भी भाजपा केवल राज्य सरकार की झूठी फर्जी शिकायतें करने और मोदी सरकार के झूठे महिमा गायन में लगे हुए हैं। राजनीतिक स्वार्थ के चलते पहले ही संवेदनहीन हो चुकी भाजपा अब तो छत्तीसगढ़ के गरीबों, मजदूर, किसानों, गाँववालों के दुखदर्द के प्रति संवेदनहीन बन चुकी हैं।
 
       शैलेश नितिन त्रिवेदी जी ने कहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने कोरोना महामारी को रोकने में जो युद्ध स्तर पर उपाय किया है उसका ही परिणाम है कि भाजपा शासित प्रदेशों मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तरप्रदेश, सहित 10 राज्यों से भी बेहतर स्थिति में छत्तीसगढ़ है। यह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार के कोरोना रोकने के उपायों का ही परिणाम है।
 
       मोदी सरकार के कुप्रबंधन के कारण कोरोना देश भर में फैला उसका परिणाम मध्यम वर्ग और गरीब वर्ग को झेलना पड़ा। कोरोना से बुरी तरह से प्रभावित गरीबों, प्रवासी मजदूरों, किसानों, भूमिहर कृषि मजदूरों, दिहाड़ी मजदूर काम करने वालों और जिन लोगों ने अपनी नौकरी खोई है। जिनकी नौकरी गई है, जिनकी छटनी हुई है, वो लोग अलग है। अपंजीकृत व्यवसायियों, असंगठित क्षेत्र के वो लोग, जिनकी नौकरी चली गई है, स्वरोजगार करने वालों, दुकानदार और वह मध्यम वर्ग, जिसका पैसा समाप्त हो चुका है और वो ऋण लेने के लिए मजबूर है। मोदी सरकार ने इन सबके दर्द, वेदना की अनदेखी कर उन सबसे मुंह फेर लिया है।
 
       छत्तीसगढ़ में 22 मार्च तक 4011 लोगों की मौते हुयी जबकि महाराष्ट्र 53457, केरल 4508, पंजाब 6382, कर्नाटक 12444, तमिलनाडु 12609, गुजरात 4454, दिल्ली 10963, पश्चिम बंगाल 10208, उत्तरप्रदेश 8760, आंध्रप्रदेश 7191 लोगो की मौते हुयी। 10 राज्यों में कोरोना की मृत्यु संख्या छत्तीसगढ़ से अधिक है। कोरोना महामारी को लेकर छत्तीसगढ़ भाजपा पेनिक सिचुएशन क्रियेट करने भगदड़, भय और आतंक फैलाने की राजनीति कर रही है जो ठीक नहीं है। देश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में कोरोना की सेकंड वेव दूसरी लहर आई है तो इस पर भी हम सबको मिलकर काम करने और नियंत्रण करने की जरूरत है। हमने कटघोरा में भी यह कर दिखाया, 6.5 लाख प्रवासी मजदूरों की सकुशल घर वापसी, उनके रहने खाने का इंतजाम रोजगार की व्यवस्था 20 हजार से अधिक क्वारेंटाइन सेंटरों की व्यवस्था, दूसरे प्रदेशों के 28 हजार प्रवासी श्रमिकों को सकुशल उनके घर तक पहुंचाना, पढ़ाई करने राज्य से बाहर गए छात्रों को सकुशल घर वापसी, मनरेगा के माध्यम से 1 दिन में 26 लाख लोगों को रोजगार, प्रत्येक बीपीएल राशन कार्डधारियों को 35 किलो चांवल मुफ्त देना, चना नमक शक्कर एवं सामान्य राशन कार्ड वालों को 10 रू. किलो में चावल देना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से धान उत्पादक किसानों को अंतर की राशि एवं मक्का व गन्ना उत्पादकों को लाभान्वित करना, गोधन न्याय योजना के माध्यम से गोबर खरीदी कर पशुपालकों को लाभान्वित करना। कोविड-19 के बचाव के उपायों को पूरा करते हुए तेंदूपत्ता एवं 31 वनोपज को समर्थन मूल्य में खरीदी करना। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक रेडी टु ईट लॉकडाउन में 47 लाख घरों तक सुपोषित भोजन सामग्री पहुँचाना सहित अनेक जन हितैषी कार्य को करते हुए छत्तीसगढ़ को आर्थिक रूप से सक्षम मजबूत बनाने काम करते हुये कोविड 19 से लड़ाई लड़ रहे है।
 
       मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार ने लॉकडाऊन के कारण बंद पड़ी आर्थिक गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए 30 हजार करोड़ की राहत पैकेज की मांग की गई थी लेकिन मोदी सरकार ने अब तक मदद नहीं की है। राज्य के भाजपा के बड़े नेता मोदी सरकार के सौतेले व्यवहार को सही ठहराने में कुतर्क करने लग जाते है। मुख्यमंत्री ने जब राज्य के लिए कोरोना संकट से निपटने 30,000 करोड़ की सहायता मांगी तब रमन सिंह सहित लगभग हर भाजपा नेता ने इसका विरोध किया जैसे यह पैसा किसी के व्यक्तिगत हित के लिये मांगा गया था। महामारी संकटकाल से निपटने के स्वास्थ व्यवस्थाओं को और विस्तारित करने लिए 821 करोड़ की राशि मांगी थी लेकिन मात्र 85 करोड़  देकर मोदी सरकार छत्तीसगढ़ के जनता के  स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। प्रधानमंत्री मजदूर गरीब कल्याण योजना से छत्तीसगढ़ को बाहर किया गया। किसान सम्मान निधि से 25 लाख किसानों के नाम को काट दिया गया। पीएम केयर फंड में छत्तीसगढ़ के सीएसआर फंड की राशि को जबरिया जमा करवा लिया गया और पीएम केयर फंड से नाम मात्र राशि मदद की गई ये छत्तीसगढ़ के ढाई करोड़ जनता के साथ अन्याय है। भाजपा के सांसद सभी विषयों पर मौन रहकर छत्तीसगढ़ के साथ किये जा रहे भेदभाव का समर्थन कर रहे हैं।
 
       12 मई को मोदी जी ने बहुत बड़ी घोषणा की थी कि करोना से लड़ने 20 लाख करोड़ का पैकेज दिया जाएगा। पूरे देश को उम्मीद और आशा बंधी थी कि शायद अब मोदी जी को गरीबों का, लाचारों का दुख और दर्द समझ में आ गया है। शायद अब मोदी जी को समझ में आ गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। वो इससे निपटने ठोस कदम उठाने जा रहे हैं और। कुल मिलाकर आपदा राहत के नाम पर 5 एपिसोड में मोदी सरकार ने आम जनता के लिए “आत्मनिर्भर भारत”, “जान है तो जहान है”  के नारों के साथ 20 लाख करोड़ के कर्ज का जुमला ही दिया, ठीक उसी तरह जैसे पहली बार देश की सत्ता हासिल करने के लिए हर भारतवासी के खाते में 15-15 लाख रुपए पहुंचाने का वादा किया और चुनाव जीतने के बाद उस वादे को ‘चुनावी जुमला’ बताकर हाथ झाड़ लिया। उसके बाद ये बात साफ है कि मोदी सरकार गरीब का, कमजोर का और यहाँ तक कि मध्यम वर्ग का भी दर्द नहीं समझ रही है। कोरोना की भयावह मानवीय त्रासदी का विकराल रूप मोदी सरकार की गलत नीति विफल प्रबंधन और गलत नीयत के कारण सामने आया।

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