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पर्यावरण संरक्षण मंडल ने लगाया प्रतिबंध प्लास्टर आॅफ पेरिस से निर्मित मूर्तियों पर
दुर्ग। गणेश उत्सव एवं दुर्गोत्सव पर्व पर मूर्ति विसर्जन से जल स्त्रोतों की गुणवत्ता प्रभावित होती है, जिसके फलस्वरूप न केवल जलीय जीव-जंतुओं की जान को खतरा उत्पन्न होता है, अपितु जल प्रदूषण की स्थिति भी उत्पन्न होती है। मूर्तियों के विसर्जन से राज्य के जल स्त्रोतों की जल गुणवत्ता पर पड़ने वाले विपरीत प्रभावों की रोकथाम हेतु केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी गाईड लाईन के अनुरूप नगरीय निकायों को आवश्यक कार्यवाही की जानी है। गणेश उत्सव एवं दुर्गोंत्सव पर्व पर जल स्त्रोेतों को प्रदूषण से बचाने हेतु मूर्ति विसर्जन के संबंध में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी गाईड लाईन के मुख्य बिन्दु यह सुनिश्चित किया जाये कि मूर्तियाॅं प्राकृतिक मिट्टी से ही बनाई जाये। मूर्ति निर्माण में प्लास्टर आॅफ पेरिस एवं बेक्ड क्ले का उपयोग न किया जायेें। मूर्तियों की ऊॅचाई 5 फीट से अधिक न हो। नदी और तालाब में विसर्जन के लिये अस्थायी पाॅड/बन्ड का निर्माण किया जाकर मूर्ति एवं पूजा सामग्री जैसे-फूल, कागज एवं प्लास्टिक से बनी सजावट की वस्तुयें इत्यादि मूर्ति विसर्जन के पूर्व अलग कर ली जाये तथा इसका अपवहन उचित तरीके से किया जाये। जिससे नदी या तालाब में प्रदूषण की स्थिति नियंत्रित हो सके। विसर्जन उपरांत वेस्ट मटेरियल, पूजा सामग्री, फूल, कपड़े, प्लास्टिक, पेपर आदि को सुरक्षित एकत्र कर पुर्नउपयोग एवं कम्पोस्टिंग आदि में किया जा सकता है। वेस्ट मटेरियल विसर्जन स्थल पर जलाना प्रतिबंधित है। स्थानीय निकाय द्वारा विसर्जन स्थल की व्यवस्था विसर्जन से कुछ समय पूर्व किया जाकर आम लोगों को स्थल के बारे में अवगत कराना, छोटे आकार के मूर्ति एवं मूर्ति का निर्माण हेतु संस्कृति अनुसार मिट्टी और प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जायें। मूर्ति निर्माण में सिन्थेटिक केमिकल, पेंट्स तथा डाई का उपयोग न किया जायें। मूर्ति विसर्जन स्थल पर पर्याप्त घेराबंदी व सुरक्षा की व्यवस्था हो। पूर्व से ही चिन्हांकित विसर्जन स्थल पर नीचे सिंथेटिक लाईनर की व्यवस्था की जाये तथा विसर्जन के उपरांत उक्त लाईनर, विसर्जन स्थल से हटाया जाये, जिससे कि मूर्ति विसर्जन के पश्चात् उसका अवशेष बाहर निकाला जा सकें। बास, लकड़ियां पुर्नउपयोग की जावे एवं मिट्टी को भू-भराव इत्यादि में किया जावें। गणेश पर्व के पूर्व प्लास्टर आॅफ पेरिस (पी.ओ.पी.) की मूर्ति का निर्माण नहीं किये जाने एवं ना ही उपयोग किये जाने के संबंध में छ.ग. पर्यावरण संरक्षण मंडल क्षेत्रीय कार्यालय भिलाई के अधिकारियों द्वारा नगर पालिक निगम, भिलाई, नगर पालिका निगम भिलाई,-चरोदा, नगर पालिका परिषद, कुम्हारी जिला-दुर्ग के क्षेत्रों में मूर्ति निर्माण स्थल का निरीक्षण आज किया गया। निरीक्षण के दौरान एस. के. दीवान, मुख्य रसायनज्ञ, एन.के. पटेल, प्रभारी रसायनज्ञ एवं श्री जी.पी. पटेल उपास्थित थे।
निरीक्षण के दौरान नगर पालिक निगम, भिलाई क्षेत्र में मूर्तिकार श्री पार्थो देव गणेश दत्त सेक्टर. 09 भिलाई , श्री रविन्द्रनाथ पाल, रावणभाटा सुपेला, भिलाई-चरोदा क्षेत्र में किशोरचंद्र सेनापति अजाद चैक भिलाई-3 मूर्तिकार के यहां प्लास्टर आॅफ पेरिस (पी.ओ.पी.) की गणेश मूर्ति नहीं पाई गयी। इनके द्वारा मिट्टी की मूर्ति का निर्माण किया जाना पाया गया। नगर पालिका परिषद, कुम्हारी क्षेत्र में श्री राजकुमार चक्रधारी, मूर्तिकार व श्री संत ढीमर, श्री मनहरण, श्री राजू के यहां मिट्टी का मूर्ति का निर्माण किया जाना पाया गया। उक्त मूर्तिकारों को प्लास्टर आॅफ पेरिस (पी.ओ.पी.) की मूर्ति नही बनाने हेतु निर्देशित किया गया।
उल्लेखनीय है कि निरीक्षण के दौरान नगर पालिका परिषद, कुम्हारी क्षेत्र के दो स्थलों पर प्लास्टर आॅफ पेरिस की मूर्ति जिसमें श्री कृष्ण, हनुमान जी, माॅ सरास्वती एवं अन्य की मूर्ति श्री मनाराम कांजी हाउस कुम्हारी के पास तथा श्री गमना राम टोलप्लाजा के पास कुम्हारी में निर्माण होना पाया गया। उक्त मूर्तिकारों को तत्काल प्लास्टर आॅफ पेरिस की मूर्ति हटाये जाने हेतु निर्देशित किया गया। एवं इस संबंध में भी मुख्य नगर पालिका अधिकारी, नगर पालिका परिषद कुम्हारी को उक्त दोनो मूर्तिकारों को नोटिस देकर जप्ती की कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया गया। मुख्य नगर पालिका अधिकारी, नगर पालिका परिषद कुम्हारी जिला दुर्ग के द्वारा श्री मानाराम कांजी हाउस, वार्ड क्रंमाक 13 एवं श्री गमनाराम टोल प्लाजा के सामने वार्ड क्रमांक 13 कुम्हारी को आज नोटिस जारी किया गया है।