विविध ख़बरें
हां, हमें सरपंचों पर भरोसा है : वे निर्वाचित जन प्रतिनिधि हैं
आपकी तरह नौकरशाही के भरोसे नहीं चलती है कांग्रेस सरकार
क्वॉरेंटाइन सेंटरों की जिम्मेदारी गांवों के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को
पंचायतों को जिम्मेदारी मिलने से भाजपा को क्यों पीड़ा हो रही है -मोहन मरकाम
कमाने खाने बाहर गए छत्तीसगढ़ के मजदूरों को मजबूर बनाने कर्जदार बनाने और करोना संक्रमण का शिकार बनाने के लिए मोदी सरकार का कुप्रबंधन और गलत फैसले जिम्मेदार
रमन सिंह सरकार में रिलायंस का टावर लगाने और अमित शाह की रैली के लिए जबरिया पंचायत की विकास राशि हड़पी जाती थी
रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा हां, हमें सरपंचों पर भरोसा है। वे निर्वाचित जन प्रतिनिधि हैं। अपनी जिम्मेदारी समझते हैं। जनता के चुने हुए पंचायत के जनप्रतिनिधि को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने महामारी को नियंत्रित करने एवं प्रवासी मजदूरों की देखभाल के लिए बनाई गई क्वॉरेंटाइन सेंटर की जिम्मेदारी देकर करोना महामारी के नियंत्रण के महत्वपूर्ण काम में पंचायतों की सहभागिता सुनिश्चित की है। क्वॉरेंटाइन सेंटर में ठहरे प्रवासी मजदूरों को इससे घर जैसा माहौल और पारिवारिक वातावरण क्वॉरेंटाइन सेंटर में मिल रहा है। प्रवासी मजदूरों पंचायतों द्वारा संचालित क्वॉरेंटाइन सेंटर में खुद को सुरक्षित और बेहतर महसूस कर रहे हैं। किसी भी प्रकार की रहने खाने की दिक्कतें नहीं हो रही है।पंचायतों को कोरोना महामारी नियंत्रित करने और क्वॉरेंटाइन सेंटर की जिम्मेदारी देने से पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह को क्यों तकलीफ हो रही है?
उन्होंने कहा कि लाक डाउन वन से उत्पन्न परिस्थितियों के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने स्पेशल ट्रेनों बसों व अन्य माध्यमों से प्रवासी मजदूरों के घर वापसी के पुख्ता इंतजाम किए हैं। राज्य में लगभग साढे तीन लाख प्रवासी मजदूरों के घर वापसी सुनिश्चित हुई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने मजदूरों के घर वापसी के लिए लगभग 3.30 करोड़ ₹ की राशि खर्च की है।क्वेरेंटाइन सेंटर और प्रवासी मजदूरों के रहने खाने की व्यवस्था के लिए जिला कलेक्टरों को भी 3.30 करोड़ रुपए की राशि व ब्लॉक स्तर पर भी धन मुहैया कराया गया है जिसके कारण क्वेरेन्टाइन सेंटरों में प्रवासी मजदूरों के लिए बेहतर व्यवस्था हुई है। लगातार उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा हैं। ऐसे समय में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह इतने संवेदनशील मामले में राजनीति कर रहे हैं और बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं।
अपने 15 साल के शासनकाल में पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने तोपंचायतों को उनके अधिकार से वंचित किया था। पंचायत मद की राशि का उपयोग भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के स्वागत सत्कार में जबरिया खर्च कराए जाते थे। अमित शाह की रैली के लिए भीड़ भी पंचायतों के पैसे से ही जुटाई जाती थी। रिलायंस कंपनी के टावर लगाने पंचायतों के अनुमति के बगैर बिना अनु बदन से पंचायत के मद की राशि को जबरिया खर्च कर दिया जाता था। आज पंचायतों को उनका अधिकार दिया गया है। जनता के चुने जनप्रतिनिधियों को करोना महामारी से निपटने में सक्षम और अधिकार सम्पन्न बनाया गया है। उत्तर दायित्व दिया गया है ऐसे में भाजपा नेताओं के पेट में दर्द उनके पंचायती राज विरोधी और लोकतंत्र विरोधी होने का जीताजागता सबूत है।
पहले मोदी सरकार ने देश के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर जरूरी सतर्कता नहीं बरती जिसका परिणामस्वरुप करोना बीमारी देश में फैली। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल जी की सरकार ने शुरू से सावधानी बरतकर इस बीमारी को पूरी तरीके से नियंत्रित रखा था। लेकिन अब लाखों की संख्या में कमाने खाने बाहर गए हुए मजदूर वापस आ रहे हैं। 2 महीने से अधिक समय तक इन मजदूरों ने रोजी रोटी का अभाव झेला इनको मजदूरी नहीं मिली उनके पास की स्वयं की गाढ़ी पूंजी समाप्त हो गई। बाहर के प्रदेशों में रहकर इन मजदूरों को भूख प्यास, रहने की समस्या इलाज की समस्या तो झेलनी पड़ी ही यह लोग संक्रमण का शिकार होने के लिए भी मजबूर हुये। यदि समय रहते इन्हें वापस आने दिया गया होता, जो ट्रेनें बाद में चली वह पहले चलाई गई होती तो इन मजदूरों को करोना महामारी का शिकार ही नहीं होना पड़ता। बाहर रहकर मजदूरी के अभाव में कर्जदार नहीं होना पड़ता।
मोहन मरकाम ने पूछा है कि जो इन मजदूरों को काम कराने ले गए थे, लाक डाउन के दौरान की मजदूरी इन मजदूरों को देने के लिए उनसे क्यों नहीं कहा मोदी सरकार ने? कमाने खाने बाहर गए छत्तीसगढ़ के मजदूरों को मजबूर बनाने कर्जदार बनाने और करोना संक्रमण का शिकार बनाने के लिए मोदी सरकार जिम्मेदार है।