एफएसएनएल के निजीकरण पर जन आक्रोश: सार्वजनिक उपक्रमों और आरक्षण पर मंडराता खतरा
आर पी शर्मा: निजीकरण जनहित विरोधी, पूंजीपतियों की जीत और जनता की हार
भिलाई स्टील प्लांट के निजीकरण की आशंका, ठेका मजदूरों पर बढ़ती निर्भरता चिंताजनक
भिलाई। आचार्य नरेंद्र देव स्मृति जन अधिकार अभियान समिति ने सार्वजनिक उपक्रम फैरो स्क्रैप निगम लिमिटेड (एफएसएनएल) के विनिवेश पर गंभीर नाराजगी व्यक्त की है। समिति के अध्यक्ष आर पी शर्मा ने इस कदम को जनहित विरोधी और पूंजीवादी सरकार की नीति का हिस्सा बताया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने एफएसएनएल को जापान की कोनोइक ट्रांसपोर्ट कंपनी लिमिटेड को 320 करोड़ रुपए में बेच दिया, जबकि यह उपक्रम हर साल 300 करोड़ से ज्यादा का लाभांश भारत सरकार को देता था।
आर पी शर्मा ने साल 2007 से लगातार स्क्रैप माफिया के खिलाफ आवाज उठाई और इस सार्वजनिक उपक्रम को बचाने की कोशिश की, लेकिन निजीकरण के इस निर्णय से जनता की हार और पूंजीपतियों की जीत हुई है। उन्होंने कहा कि यह सरकार मजदूरों, किसानों, और बेरोजगार युवाओं का शोषण कर रही है और उनकी आवाज को दबा रही है।
सरकारी उपक्रमों पर खतरा
आर पी शर्मा ने एफएसएनएल के विनिवेश को सार्वजनिक उपक्रमों के खिलाफ एक बड़ा खतरा बताया। उन्होंने कहा कि इस्पात मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने हाल ही में भिलाई दौरे पर कहा था कि किसी भी सरकारी उपक्रम का निजीकरण नहीं होगा, लेकिन इसके विपरीत एफएसएनएल को निजी हाथों में सौंप दिया गया। अब भिलाई स्टील प्लांट (बीएसपी) के निजीकरण की भी आशंका बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि बीएसपी जैसे बड़े स्टील प्लांट में नियमित पद कम होते जा रहे हैं और उत्पादन ठेका मजदूरों और आउटसोर्सिंग के भरोसे चल रहा है, जो इस प्लांट के विनिवेश की तैयारी का संकेत है।
सरकार की मंशा और आरक्षण पर खतरा
आर पी शर्मा ने चेतावनी दी कि अगर इस निजीकरण की प्रक्रिया नहीं रुकी, तो आने वाले समय में सरकार सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण करके दलित और पिछड़े वर्गों के आरक्षण को भी खत्म कर देगी। उन्होंने इस संकट के खिलाफ सभी मतभेदों को भुलाकर एकजुट होकर संघर्ष करने की अपील की है।